विदेशों तक पहुंची महाकुम्भ की गूंज: गदगद हुए सनातन प्रेमी

The echo of Maha Kumbh reached abroad: Sanatan lovers were overjoyed

  • योगी बाबा के संगम पर विदेशी श्रद्धालुओं ने की प्रशंसा
  • विदेशी युवकों ने की महाकुम्भ की व्यवस्था की सराहना
  • राजपाल ने अपने संदेश और प्रदर्शन से युवाओं को किया प्रेरित

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

महाकुम्भ नगर : महाकुम्भ 2025 का आयोजन भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की ताकत को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने का प्रतीक बन गया है। संगम पर आयोजित इस भव्य आयोजन में विदेशी श्रद्धालु भारतीय संस्कृति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की। ऑस्ट्रेलिया से आई श्रद्धालु इला और उनके साथ अन्य विदेशी युवकों ने योगी बाबा की व्यवस्थाओं और महाकुम्भ के प्रबंधन को लेकर अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, “महाकुम्भ में महा स्नान और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अद्भुत व्यवस्था की गई है। संगम पर सुरक्षा, स्वच्छता और शांति का ऐसा नजारा पहली बार देखा।”

महाकुम्भ की बेहतरीन व्यवस्थाओं पर योगी आदित्यनाथ को सराहना
महाकुम्भ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई व्यवस्थाओं को विदेशी सनातन प्रेमियों ने सराहा। संगम पर सुरक्षित, दिव्य और व्यवस्थित माहौल ने श्रद्धालुओं को प्रभावित किया। विदेशी युवकों ने भी इस आयोजन की भव्यता और अनुशासन को लेकर प्रशंसा की।

महाकुम्भ 2025 भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रचार-प्रसार का माध्यम बनते हुए भारत की वैश्विक पहचान को और मजबूत कर रहा है।

राजपाल बने युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत, नहीं पहनते हैं कपड़े
हरियाणा के रोहतक जिले के सीसर गांव से आए राजपाल योगी, जो ठंड में भी कपड़े नहीं पहनते हैं। अपनी अनूठी जीवनशैली और संदेश से सभी का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा, “मैं युवाओं को जागरूक करना चाहता हूं कि वे नशे से दूर रहें, शरीर को स्वस्थ रखें और सनातन संस्कृति के मूल्यों को अपनाएं। सोशल मीडिया और महाकुम्भ जैसे आयोजन इस संदेश को फैलाने का बेहतर जरिया हैं।”

राजपाल ने यह भी कहा कि अगर युवा अपनी संस्कृति और शक्ति को पहचानें, तो भारत फिर से “विश्वगुरु” बन सकता है।

3000 पुशअप्स: शक्ति का अद्भुत प्रदर्शन
राजपाल योगी ने एक हाथ से 3000 पुशअप्स लगाकर शारीरिक और मानसिक शक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने युवाओं से अपील की, “शारीरिक और मानसिक शक्ति का संतुलन ही सफलता की कुंजी है। अपनी परंपराओं को अपनाएं और माता-पिता की आज्ञा का पालन करें।”

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