महाकुम्भ पर्व पर प्रयाग आए हर सनातनी, सरकार और प्रशासन को आशीर्वाद

Blessings to every Sanatani who came to Prayag on the occasion of Maha Kumbh festival, government and administration

  • महाकुम्भ में पहली बार मिले तीन पीठों के शंकराचार्य, जारी किया संयुक्त धर्मादेश
  • देश की एकता, अखंडता, सामाजिक समरसता और सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना पर दिया जोर
  • गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने की अपील

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

महाकुम्भनगर : महाकुम्भ में पहली बार देश के तीन पीठों के शंकराचार्य एक ही मंच पर मिले और सनातन के लिए संयुक्त धर्मादेश जारी किया। धर्मादेश में देश की एकता, अखंडता, सामाजिक समरसता और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण निर्णय किए गए। वहीं, शंकराचार्यों ने आह्वाहन किया कि महाकुम्भ पर्व पर प्रत्येक सनातनी को प्रयागराज आना चाहिए। उन्होंने महाकुम्भ के भव्य आयोजन के लिए योगी सरकार और प्रशासन को आशीर्वाद भी दिया।

महाकुम्भ में पहली बार एक मंच पर तीन पीठों के शंकराचार्य
महाकुम्भ में देश के तीन पीठों के शंकराचार्यों ने पहली बार मंच साझा किया है। महाकुम्भ में चल रही परम धर्म संसद के शिविर में तीन पीठों के शंकराचार्यों ने समवेत रूप से एक संयुक्त धर्मादेश भी जारी किया है। श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी विधु शेखर भारती जी, द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी और ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने परम धर्मसंसद में हिस्सा लिया और सनातन संस्कृति की रक्षा और उन्नयन के लिए 27 धर्मादेश भी जारी किए। इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी सदानंद ने संस्कृत भाषा के महत्व पर जोर दिया। श्रृंगेरी के शंकराचार्य विदुशेखर भारती ने गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने और गौ माता की विशेष रूप से रक्षा करने की बात कही। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने संस्कृत भाषा के महत्व पर जोर देते हुए सरकार को संस्कृत भाषा के लिए बजट देने पर जोर दिया।

देश की एकता अखंडता और समरसता पर जोर
27 बिंदुओं वाले धर्मादेश में देश की एकता, अखंडता और समरसता के साथ सनातन धर्म की संस्कृति की रक्षा, विस्तार और संस्कृत भाषा के विस्तार पर जोर दिया गया। धर्मादेश में नदियों और परिवार रूपी संस्था को बचाने के लिए सबको आगे आने का आदेश दिया गया। धार्मिक शिक्षा को हिंदुओं का मौलिक अधिकार बनाने पर भी इसमें जोर दिया गया। यह भी कहा गया कि अपने धार्मिक प्रतीकों को पहचानें और उसकी रक्षा अवश्य करें। हर विद्यालय में देव मंदिर हो।

गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने का आदेश
धर्मादेश के मूल में गौ हत्या पर रोक है और राष्ट्र माता घोषित करने का संकल्प। पहले ही धर्मादेश में कहा गया कि गाय को माता मानने वाले देश भारत की धरती से गौहत्या का कलंक मिटना चाहिए। विश्वमाता गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान मिलना चाहिए और उनकी हत्या को दण्डनीय अपराध घोषित करना चाहिए। गौहत्या से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप से जो जुड़ा हो वह हिन्दू नहीं हो सकता। उसे हिन्दू धर्म से बहिष्कृत किया जाए।

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