प्रयागराज महाकुम्भ से यूपी के धार्मिक पर्यटन को मिलेगी नई पहचान

Prayagraj Maha Kumbh will give a new identity to religious tourism in UP

  • महाकुम्भ में यूपी पर्यटन के शिविर उत्तर प्रदेश दर्शन मंडपम में दर्ज हुई सबसे अधिक पर्यटकों की संख्या
  • 45 दिन के महाकुम्भ में 65 लाख से अधिक विजिटर पहुंचे यूपी दर्शन मंडपम
  • धार्मिक और आध्यात्मिक कॉरिडोर विकसित करेंगे पर्यटन का नेटवर्क

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

प्रयागराज : महाकुम्भ 2025 ने उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन की नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। प्रदेश सरकार की तरफ से स्थानीय स्तर पर बनाए गए मंदिरों के कॉरिडोर की अहम भूमिका होगी। प्रयागराज से जोड़कर विकसित किए गए पांच आध्यात्मिक कॉरिडोर इसकी पटकथा लिखना शुरू कर चुके हैं।

यूपी दर्शन मंडपम में 65 लाख से अधिक विजिटर की दर्ज हुई एंट्री
महाकुम्भ धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन के साथ संस्कृतियों के संगम का भी महा आयोजन था। देश के विभिन्न राज्यों ने अपने अपने राज्यों की पर्यटन और संस्कृति से जुड़ी पहचान को प्रदर्शित करने वाले
मंडप यहां बनाए। इनमें में उत्तर प्रदेश की संस्कृति और पर्यटन के विभिन्न आयामों को प्रदर्शित करने वाले यूपी दर्शन मंडपम में सबसे अधिक पर्यटकों ने रुचि दिखाई है। प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह बताती हैं कि महा कुम्भ में सामान्य दिनों में यूपी दर्शन मंडपम में प्रतिदिन एक लाख से अधिक विजिटर्स आए हैं। विशिष्ट स्नान पर्वों में यह आंकड़ा दो लाख से ऊपर पहुंच गया। 45 दिन चले इस महाकुम्भ में 65 लाख से अधिक विजिटर्स यूपी दर्शन मंडपम आए हैं जो महाकुम्भ के किसी भी पंडाल से अधिक हैं।

मंदिरों के आध्यात्मिक कॉरिडोर बनेंगे आधार
प्रयागराज महाकुम्भ ने यूपी के पर्यटन में अनंत संभावनाओं की विस्तार की बुनियाद प्रदान की है। धार्मिक पर्यटन की इसमें सबसे बड़ी भूमिका होने जा रही है। महाकुम्भ के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने यहां पांच प्रमुख कॉरिडोर और पार्क विकसित किए हैं। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी का कहना है कि पर्यटन के दीर्घकालीन विस्तार के लिए कॉरिडोर जैसे पर्यटन स्थल हमेशा उपयोगी होते हैं। महाकुम्भ में पांच धार्मिक कॉरिडोर को विकसित किया गया जिसने प्रयागराज में पर्यटन का पूरा स्वरूप बदल दिया है। प्रयागराज से विन्ध्याचल देवीधाम और फिर काशी को जोड़ने वाला प्रयाग- विन्ध्याचल-काशी कॉरिडोर,
प्रयागराज को अयोध्या और गोरखपुर से जोड़ने वाला प्रयागराज-अयोध्या-गोरखपुर कॉरिडोर, प्रयागराज को लखनऊ के साथ नैमिषारण्य को जोड़ने वाला प्रयागराज-लखनऊ-नैमिषारण्य कॉरिडोर, प्रयागराज से चित्रकूट को जोड़ने वाला प्रयागराज-राजापुर -चित्रकूट कॉरिडोर और मथुरा वृन्दावन से शुकतीर्थ को जोड़ने वाला प्रयागराज-मथुरा-वृंदावन-शुकतीर्थ कॉरिडोर धार्मिक पर्यटन का आधार बनेगा ।

स्थानीय मंदिरों के कॉरिडोर और पार्क बनेंगे वरदान
प्रदेश सरकार ने महाकुम्भ के दौरान प्रयागराज के मंदिरों का कायाकल्प करने के साथ मंदिरों के कॉरिडोर निर्माण की जो योजना धरातल पर उतारी उसके दूरगामी परिणाम होने वाले हैं। संगम के निकट हनुमान मंदिर कॉरिडोर, अक्षयवट मंदिर सरस्वती कूप कॉरिडोर, दारागंज में नागवासुकी और अलोप शंकरी देवी कॉरिडोर, भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर और श्रृंगवेरपुर धाम के विकास ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए धार्मिक पर्यटन के कई विकल्प प्रदान कर दिए हैं। शिवालय पार्क और त्रिवेणी पुष्प परमार्थ निकेतन भी इसी का अंग बन गए हैं। इन संरचनाओं का विकास धार्मिक पर्यटन के लिए वरदान साबित होगा।

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