
रक्षा-राजनीती नेटवर्क
पर्वाधिराज दशलक्षण महामहोत्सव के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म पर कर्मयोगी क्षुल्लकरत्न श्री 105 समर्पण सागर जी महाराज बोले, सदैव जिनवाणी का करें दान और शास्त्रों का करें स्वाध्याय, जिनवाणी स्थापना करने का सौभाग्य मेंबर ऑफ गवर्निंग बॉडी सुश्री नंदिनी जैन को मिला, कल्चरल इवेंट में लॉ कॉलेज ने आदिपुराण और फॉर्मेसी कॉलेज ने पथिक के सत्य नाटक का किया मंचन
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में पर्वाधिराज दशलक्षण महामहोत्सव के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म पर मुख्य कलश की स्थापना करने का पुण्य फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन ने कमाया। जिनवाणी स्थापना करने का सौभाग्य मेंबर ऑफ गवर्निंग बॉडी सुश्री नंदिनी जैन को मिला। चार कलश की स्थापना करने का पुण्य श्रीमती अहिंसा, श्रीमती प्रीती, डॉ. अर्चना और श्रीमती करुणा जैन ने कमाया। कर्मयोगी क्षुल्लकरत्न श्री 105 समर्पण सागर जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा, दान चार तरह के होते हैं- आहार दान, ज्ञान दान, अभय दान और औषधी दान। विभिन्न उदाहरणों के जरिए उन्होंने चारों प्रकार के दान की महिमा का उल्लेख किया। साथ ही त्याग और दान में अंतर बताते हुए कहा, दान से दूसरों का और त्याग से खुद का भला होता है। श्री 105 समर्पण सागर महाराज ने कहा, हमें सदैव जिनवाणी का दान करना चाहिए और शास्त्रों का स्वाध्याय करना चाहिए।
कर्मयोगी क्षुल्लकरत्न श्री 105 समर्पण सागर जी महाराज के सानिध्य में पूजा और जिनवाणी विधान हुआ। दीप प्रज्ज्वलन अक्षरा, रिदम और आस्था जैन ने किया। उत्तम त्याग धर्म पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन, की गरिमामयी उपस्थिति रही। प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री के सानिध्य में जिनवाणी पूजन, समुच्चय पूजन, सोलहकारण पूजन, दशलक्षण पूजन विधि-विधान से सम्पन्न हुई। रिद्धि-सिद्धि में श्रीजी का स्वर्ण कलश से संकल्प जैन, अनिमेष जैन, उमंग जैन, अनंत जैन को अभिषेक करने का सौभाग्य मिला। श्रीजी का स्वर्ण झारी से शांतिधारा करने का सौभाग्य मेडिकल कॉलेज के छात्रों और रजत झारी से शांतिधारा करने का सौभाग्य डॉ. अश्विनी जैन को मिला। मुरादाबाद जैन समाज के प्रबुद्ध नागरिकों ने भी रिद्धि-सिद्धि भवन में विराजमान प्रभु के दर्शन कर पुण्य लाभ कमाया।
प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन शास्त्री ने अष्ट द्रव्यों को जीवन से जोड़कर सुदर अभिव्यक्ति दी। उन्होंने कहा, ये सभी पूजा के आलंबन मात्र है। साथ ही पूजा के इतिहास को भी बताया।। शास्त्री जी बोले, महत्वपूर्ण यह नहीं, आपने क्या अर्पित किया, बल्कि महत्वपूर्ण यह है, जो कुछ भी अर्पित करो अच्छे भावों से करो। साथ ही द्रव्य दान की महत्ता, दान और व्रत की महिमा भी बताई। धर्ममय माहौल में श्रीमद उमास्वामी द्वारा रचित तत्वार्थसूत्र जैसे संस्कृत के क्लिष्ट शब्दों वाली रचना के अष्टम अध्याय को मुस्कान जैन ने रोचक और भावपूर्ण तरीके से वाचन किया। इस अवसर पर प्रत्येक दिन पूजन करने वाले, दशलक्षण पर्व के दस दिन द्रव सामग्री तैयार करने में संलग्न, मंच संचालन और अन्य जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वाले, जिनालय की तैयारियों में सक्रिय योगदान करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को सम्मानित भी किया गया। सिद्धार्थ जैन एंड पार्टी के संगीतमय भजनों- अमृत से गगरी भरो आज प्रभु न्वान करेंगे…, सोने के कलशों में जल भर ले आज थोड़ा-थोड़ा प्रभु का न्हवन कर ले…, खुशी से मेरा मन मगन हो रहा है…, हाथ उठाओ सबको पूजन करनी है…, प्रभुजी की भक्ति ने कैसा जादू किया…, तुझे देख के…, अब आना पड़ेगा इस दर पे दुबारा…, अब न करेंगे मनमानी पढ़ेगे जिनवाणी…, आज मिलेंगे परमात्मा…, है पारस तेरे दर पर दुनिया सारी…, रोज-रोज तेरी पूजा करेंगे ओ पारसनाथ… आदि से रिद्धि-सिद्धि भवन श्रीजी की भक्ति में झूम उठा।
दूसरी ओर उत्तम तप धर्म पर ऑडी में लॉ और फार्मेसी कॉलेज के स्टुडेंट्स की ओर से तप से कुंदन तभी अभिनंदन थीम पर नाटिकाओं का मंचन किया गया। लॉ कॉलेज के विद्यार्थियों ने मंगलाचरण के साथ धार्मिक नाटिका आदिपुराण का मंचन किया। आदिपुराण प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के जीवन की गाथा है। नाटिका में बताया, राजा आदिनाथ भगवान आदिनाथ कैसे बने, कैसे उनको वैराग्य की प्राप्ति हुई। कार्यक्रम में स्टुडेंट्स गुंचा जैन, अंश जैन, कुशाग्र जैन आदि ने प्रतिभाग किया। फॉर्मेसी कॉलेज छात्रों ने पथिक के सत्य नाटक के जरिए अकलंक और निकलंक का जैन धर्म के प्रचार में योगदान पर प्रकाश डाला।
नाटक में संदेश दिया, तप से परिष्कृत होकर उच्च लक्ष्य हासिल हो सकते हैं। फॉर्मेसी के छात्रों- संदेश सराफ, अंशी जैन, लक्षिता जैन, प्राची जैन, हार्वी जैन, रिया जैन, दृश्या, समैया, शिवांश और विवेक ने नाटक के पात्रों का सजीव चित्रण किया। नाटिका की थीम और तैयारी में फैकल्टी श्री आशीष सिंघई की विशेष भूमिका रही। इससे पूर्व जिनालय से श्रीजी की आरती रिद्धि-सिद्धि भवन तक ले जाने का सौभाग्य लॉ कॉलेज और फार्मेसी कॉलेजों को मिला। कार्यक्रम में वीसी प्रो. वीके जैन, डॉ. करुणा जैन के अलावा लॉ कॉलेज के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित, फार्मेसी के प्राचार्य प्रो. अनुराग वर्मा, लॉ कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सुशील कुमार सिंह, श्रीमती प्रीति जैन, डॉ. नम्रता जैन, डॉ. साक्षी गुप्ता, श्री उत्कर्ष अग्रवाल, श्री अभिषेक कुमार आदि मौजूद रहे। इस कल्चरल इवेंट का संचालन जूही जैन, सिद्धार्थ समैया ने किया।