घरेलू नाबालिग सहायिका की आत्महत्या का मामला : सपा विधायक ने अदालत में किया आत्मसमर्पण

Case of suicide of minor domestic help: SP MLA surrenders in court

रक्षा-राजनीती नेटवर्क

भदोही : समाजवादी पार्टी के भदोही विधायक जाहिद बेग ने गुरुवार को नियोजित तरीके से मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। इस दौरान पुलिस ने विधायक को गिरफ्तार करने के लिए असफल प्रयास किया लेकिन अधिवक्ताओं के विरोध चलते गिरफ्तार नहीं कर पाई।

सपा विधायक जाहिद बेग उनकी पत्नी सीमा बेग के खिलाफ घरेलू नाबालिक सहायिका के आत्महत्या मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसमें बालश्रम, बधुवा मजदूरी, एक से अधिक नाबालिग लड़कियों की तस्करी और आत्महत्या के लिए नाबालिग सहायिका को प्रेरित करने का मामला था। इसी मामले में बुधवार को उनके अधिवक्ता बेटे को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है। भदोही सपा विधायक जाहिद बेग, उनकी पत्नी और बेटे पर नौकरानी को प्रताड़ित करने और आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का है आरोप।

सपा विधायक अपने अधिवक्ता मजहर शकील के साथ मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पहुंचे। इस दौरान भदोही पुलिस अदालत के गेट पर उन्हें गिरफ्तार करना चाहती थी, लेकिन अधिवक्ताओं के विरोध के कारण वह गिरफ्तार नहीं कर पाई। क्योंकि पुलिस की तरफ से विधायक के खिलाफ अदालती नोटिस जारी की गई थी। पुलिस को पहले से ही आशंका रही की विधायक अदालत में आत्मसमर्पण कर सकते हैं। लेकिन पुलिस चाह कर भी विधायक को गिरफ्तार नहीं कर पाई। सपा विधायक अपने अधिवक्ता के साथ मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सबिया खातून की अदालत में खुद को आत्मसमर समर्पण कर दिया

सपा विधायक जाहिद बेग के साथ उनकी पत्नी सीमा बेग को ही इसी धाराओं में निरुद्ध किया गया है लेकिन सीमा बेग विधायक के साथ हाजिर नहीं हुई है। विधायक के अलावा उनके बेटे जईम बेग उर्फ सैमी के खिलाफ भी भदोही कोतवाली में मुकदमा दर्ज करने के बाद उसे न्यायालय में पेश करने के बाद बुधवार को जेल भेज दिया गया था। अदालत में विधायक के आत्मसमर्पण के दौरान काफी संख्या में उनके समर्थक और समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता मौजूद रहे। इस दौरान वहां का माहौल बेहद गहमा -गहमी वाला था।

विधायक के आत्मसमर्पण के बाद भदोही की सियासत में और नए मोड़ आ सकता है। विधायक ने अब आत्मसमर्पण कर दिया है। हालांकि अभी उनकी पत्नी अदालत में हाजिर नहीं हुई है। अभी पत्नी को हाजिर होना है। अदालत से अगर विधायक को जमानत मिलती है तो उनकी राह आसान हो जाएगी। क्योंकि इसी आधार पर पत्नी और बेटे को भी जमानत मिल सकती है। फिलहाल इस प्रकरण को लेकर भदोही की राजनीति गरमाई है।

उल्लेखनीय हो कि सपा विधायक जाहिद बेग के भदोही शहर स्थिति निजी आवास पर घरेलू कार्य करने वाली एक नाबालिक किशोरी का शव 09 सितंबर की सुबह पंखे से लटकता मिला था। आत्महत्या करने वाली नाबालिग सहायिका नाजिया (17) पुत्री इमरान निवासी कांशीराम आवास कॉलोनी मामदेवपुर की रहने वाली थी। वह विधायक के यहाँ काफी समय से घरेलू काम करती थी। विधायक का निजी आवास मोहल्ला मालिकाना भदोही कस्बे में है। इस घटना के बाद बाल श्रम, जिला प्रोबेशन और बाल कल्याण समिति विधायक के आवास पर छापा मार कर एक और घरेलू सहायिका को मुक्त कराया था। मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में इसी सहायिका के बयान के आधार पर पुलिस ने विधायक और उनके परिजनों पर मुकदमा दर्ज किया। फिलहाल मुक्त कराई गई किशोरी को राजकीय बाल संरक्षण गृह प्रयागराज भेज दिया गया है।

मेरे साथ की गई अभद्रता : जाहिद बेग
समाजवादी पार्टी के सपा विधायक जाहिद जमाल बेग बुधवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आत्मसमर्पण किया। बाद में उन्हें जेल भेज दिया गया। सपा विधायक जाहिद बेग ने मीडिया से बातचीत के दौरान भदोही पुलिस पर आरोप लगाया कि अदालत में समर्पण के दौरान पुलिस ने उनके साथ धक्का-मुक्की और अभद्रता किया। इस दौरान हमारे कपड़े फट गए और हमारे चप्पल टूट गई। यह आम आदमी की न्याय के खिलाफ है। कोर्ट में आप समर्पण करने के लिए देश के नागरिकों के पास कानूनी अधिकार है जबकि मैं एक निर्वाचित विधायक हूं और मेरे हार्ट की बाईपास सर्जरी भी हुई है। विधायक को अदालत में पुलिस से बचने के लिए दौड़ कर जाना पड़ा। जिसकी वजह से वह बेहद घबराए और थके हुए दिखे।

यह न्यायिक अधिकार के खिलाफ है : तेजबादुर यादव
विधायक के आत्मसमर्पण मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता तेज बहादुर यादव ने भदोही पुलिस को आरोपित करते हुए कहा है कि पुलिस ने विधायक के साथ अभद्रता किया है। विधायक के साथ धक्का-मुक्की किया। इस दौरान उनके कपड़े भी फट गए। जबकि विधायक की हार्ट सर्जरी हुईं है। यह आत्मसमर्पण के कानून के खिलाफ है। पुलिस उन्हें कोर्ट परिसर में गिरफ्तार नहीं कर सकती है। उन्होंने पुलिस को आरोपित करते हुए कहा कि अगर इसी तरह अदालत परिसर में पुलिस इस तरह का व्यवहार करती रहेगी तो फिर आत्मसमर्पण जैसे कानून को खत्म कर दिया जाना चाहिए। यह किसी भी व्यक्ति के कानूनी अधिकारों के खिलाफ है।

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