बाघ, तेंदुओं और अन्य हिंसक पशुओं से बचाव के लिए प्रदेश में बन रहे हैं, रेस्क्यू सेंटर

Rescue centers are being built in the state to protect people from tigers, leopards and other violent animals

  • मेरठ, पीलीभीत, महराजगंज और चित्रकूट में वन एवं वन्य जीव विभाग बनवा रहा है रेस्क्यू सेंटर
  • मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने की दिशा में वन विभाग की महत्वपूर्ण पहल
  • सीएनडीएस लगभग 56 करोड़ रुपए की लागत से कर रही है रेस्क्यू सेंटर का निर्माण
  • रेस्क्यू सेंटर के मैन पावर और इक्विपमेंट का खर्च उठाएगी एसडीआरएफ

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश के वन एवं वन्य जीव विभाग ने मानव एवं वन्यजीव संघर्ष को कम करने की दिशा में एक जरूरी कदम उठाया है। वन विभाग प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बाघ,तेंदुओं,सियार जैसे बड़े मांसाहारी जीवों के वन क्षेत्र के समीप के गांवों और शहरों में आये दिन होने वाले संघर्ष को कम करने के लिए रेस्क्यू सेंटर बना रहा है। ये रेस्क्यू सेंटर मेरठ, पीलीभीत, महराजगंज और चित्रकूट में बनाये जा रहे हैं। जो क्रमशः पश्चिमी यूपी, तराई एवं अवध क्षेत्र और बुंदेलखण्ड में जंगलों से रिहाइश की ओर भागे हिंसक जानवरों को सेल्टर प्रदान करेगा। जिससे एक ओर इन वन्य जीवों को संरक्षण प्राप्त होगा तो वहीं दूसरी ओर वन क्षेत्रों के बफर एरिया और आस-पास रहने वाले ग्रामीणों को भी सुरक्षा मिलेगी।

मेरठ,पीलीभीत,महराजगंज और चित्रकूट में बन रहे हैं रेस्क्यू सेंटर

वन एवं वन्य जीव विभाग बाघ,तेंदुओं और सियार जैसे बड़े हिंसक पशुओं से संरक्षण और उनके मानवों से संघर्ष को कम के उद्देश्य से अत्याधुनिक 4 रेस्क्यू सेंटर स्थापित कर रहा है। ये रेस्क्यू सेंटर प्रदेश के 4 जिलों मेरठ के हस्तिनापुर वन्यजीव अभ्यारण्य, पीलीभीत के राष्ट्रीय उद्यान, महराजगंज के सोहागीबरवा वन्यजीव अभ्यारण्य और चित्रकूट के रानीपुर वन्य जीव अभ्यारण्य में बनाये जा रहे हैं। प्रदेश की मुख्य वन संरक्षक अनुराधा वेमुरी ने बताया कि इन रेस्क्यू सेंटर की स्थापना का उद्देश्य वन्यजीवों को संरक्षण प्रदान करने के साथ वन क्षेत्र के समीप रहने वाले ग्रामवासियों की इन हिंसक पशुओं से सुरक्षा प्रदान करना है। ये रेस्क्यू सेंटर विशेष रूप से पश्चिमी यूपी, तराई क्षेत्र,अवध और बुंदेलखण्ड के क्षेत्र को कवर करने के लिए मेरठ, पीलीभीत, महराजगंज और चित्रकूट जिलों में बनाये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रेस्क्यू सेंटर का निर्माण कार्य कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज़ (सीएनडीएस) कर रही है। जिसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से लगभग 57 करोड़ 20 लाख रुपये की राशि स्वीकृत हुई थी। रेस्क्यू सेंटर का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है, जल्द ही उनमें जरूरी मैन पावर और इक्युपमेंट की व्यवस्था कर इनका संचालन शुरू हो जाएगा।

रेस्क्यू सेंटर के संचालन में वन विभाग का सहयोग करेगी एसडीआरएफ

मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि इन रेस्क्यू सेंटर में आधुनिक सुविधाओं युक्त आवास, उपचार केंद्र, क्वारंटीन क्षेत्र, वॉच टावर और प्रशिक्षण हॉल भी बनाये गये हैं। इन रेस्क्यू सेंटरों में बाघ, तेंदुओं, सियार जैसे हिंसक पशुओं को त्वरित राहत व पुनर्वास की सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू सेंटर के लिए जरूरी मैन पावर और इक्युपमेंट की पूर्ति राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के सहयोग से की जाएगी। उन्होंने बताया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं आपदा के अंतर्गत आती हैं, इसलिये एसडीआरएफ विशेष रूप से इन रेस्क्यू सेंटर के संचालन और मैन पावर के प्रशिक्षण में भी सहयोग कर रहा है। इससे इन जानवरों को सुरक्षित तरीके से पकड़कर रेस्क्यू सेंटर तक लाया जा सकेगा, जिससे न केवल उन्हें आवश्यक उपचार और पुनर्वास उपलब्ध कराया जा सकेगा।उन्होंने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में पहले भी मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने के सफल अभियान चलाए गये हैं। ये रेस्क्यू सेंटर इस दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगें।

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