डबल इंजन सरकार का साथ, विभाग का मार्गदर्शन और अपनी मेहनत से लिख रहे सफलता की कहानी

With the support of the double engine government, guidance of the department and hard work, we are writing our success story

  • प्रतिवर्ष कमा रहे करोड़ों, औरों को भी रोजगार दे रहे मत्स्य पालक
  • वाराणसी के विक्रांत पाठक ने 42 हेक्टेयर भूमि पर विकसित की बेस फिश फॉर्मिंग
  • अब 50 लोगों को दे रहे रोजगार, प्रति वर्ष कर रहे सवा से डेढ़ करोड़ की कमाई
  • मई में विश्व बैंक की टीम भी कर चुकी है विक्रांत के फॉर्म का निरीक्षण
  • जौनपुर की मीरा सिंह ने 2020-21 में एक एकड़ से शुरू किया था, आज 25 एकड़ में मत्स्य पालन कर बनीं आत्मनिर्भर
  • 20 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष से बढ़कर अब 1400 कुंतल हुआ वार्षिक उत्पादन

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ : युवा हों या महिलाएं, डबल इंजन सरकार का साथ, मत्स्य विभाग का मार्गदर्शन और अपनी मेहनत से सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं। एक तरफ मत्स्य पालन से स्वरोजगार कर सफलता पथ पर अग्रसर हैं तो दूसरी तरफ कइयों को रोजगार देकर उनके जीवन में नई रोशनी जला रहे हैं। ऐसी ही कहानी वाराणसी के विक्रांत पाठक और जौनपुर की मीरा सिंह की है, जिन्होंने मोदी-योगी सरकार के मार्गदर्शन में योजनाओं का लाभ लेकर अपनी अलग पहचान बना ली है।

डबल इंजन सरकार के संकल्प से सफलता तक पहुंच रहे मत्स्य पालक
वाराणसी के पिंडरा विकासखंड के चुप्पेपुर पोस्ट के पिंडराई ग्राम निवासी विक्रांत पाठक ने एक हेक्टेयर भूमि पर तालाब बनाकर मत्स्य पालन प्रारंभ किया था। प्रारंभिक लाभ कम होने पर उन्होंने मत्स्य विभाग से संपर्क कर तकनीकी सहायता प्राप्त की और वैज्ञानिक विधियों को अपनाया। विक्रांत पाठक ने दो हेक्टेयर निजी व 40 हेक्टेयर लीज भूमि का उपयोग कर बेस फिश फॉर्मिंग विकसित किया। नाबार्ड के सहयोग से एफपीओ गठित कर 150 मत्स्य पालकों को जोड़ा। साथ ही 30-40 लोगों को रोजगार भी प्रदान किया।

विश्व बैंक की टीम भी कर चुकी है फॉर्म का निरीक्षण
27 मई 2025 को विश्व बैंक की टीम ने उनके फॉर्म का भी निरीक्षण किया। आज पिंडरा ब्लॉक में वैज्ञानिक विधियों से मत्स्य बीज उत्पादन पर उनका जोर है। वे साढ़े चार-पांच लाख पंगेसियस बीज का संचयन व दो उत्पादन चक्रों में चार हजार से 4500 कुंतल उत्पादन कराने में भी सफल हो रहे हैं। 2024-25 में सात लाख पंगेसियस व 30 हजार आईएमसी बीज का संचालन भी वहां किया जा रहा है। यही नहीं, युवाओं को रोजगार सृजन का रास्ता दिखाने वाले विक्रांत वर्तमान में मत्स्य पालन से एक से डेढ़ करोड़ रुपये वार्षिक आमदनी भी कर रहे हैं। योगी सरकार से मिले सहयोग-मार्गदर्शन के लिए आभार जताते हुए विक्रांत कहते हैं कि उनका लक्ष्य एफपीओ का विस्तार कर 500 किसानों को जोड़ना है। उत्पादन क्षमता के साथ ही गुणवत्ता में भी सुधार पर जोर देते हुए वे समावेशी ग्रामीण विकास में योगदान जारी रखेंगे।

डबल इंजन सरकार की बदौलत मीरा सिंह ने लिखा आत्मनिर्भऱता की कहानी
जौनपुर के शाहगंज तहसील के सुइथाकला विकास खंड के ग्राम बुढ़ूपुर की मीरा सिंह ने तालाब निर्माण (नीली क्रांति) मत्स्य बीज हैचरी से प्रगतिशील मत्स्य पालक के रूप में अपनी पहचान बनाई। मीरा सिंह ने 2020-21 में एक एकड़ में मत्स्य पालन की शुरुआत की थी। स्वावलंबन में पति जैनेंद्र सिंह ने भी उनका बखूबी साथ निभाया। मत्स्य बीज हैचरी स्थापना के लिए विभाग की तरफ से मीरा सिंह को 15 लाख रुपये का अनुदान भी दिया गया था। विभाग के मार्गदर्शन में उन्होंने वैज्ञानिक ढंग से मत्स्य पालन का विस्तार किया।

कभी 20 कुंतल प्रति हेक्टेयर होता था वार्षिक उत्पादन, अब 1400 कुंतल
मीरा सिंह के यहां प्रारंभिक उत्पादन महज 20 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष होता था। 2024-25 में वे 25 एकड़ में मत्स्य पालन कर रही हैं, जहां से 1400 कुंतल प्रति हेक्टेयर वार्षिक उत्पादन हो रहा है। उनके तालाब से 1250 कुंतल पंगेशियस, 60-60 कुंतल रोहू व भाकुर, 30 कुंतल मृगल का उत्पादन हो रहा है। मीरा सिंह अब आसपास के गांवों में भी मत्स्य बीज की आपूर्ति कर रही हैं। क्षेत्रीय किसानों के लिए प्रेरणा बनीं मीरा सिंह 10 से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।

हर गांव-हर वर्ग तक सरकारी योजनाओं की पहुंच
मत्स्य पालन कर युवाओं, महिलाओं ने सफलता की नई कहानी लिखी है, जो उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं की प्रभावशीलता और जमीनी स्तर पर सफलता को दर्शाती है। प्रदेश सरकार के नेतृत्व में समाज के सभी वर्ग तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है। मत्स्य पालन जैसी विभिन्न योजनाओं से जुड़कर भी लोग आत्मनिर्भर और प्रदेश के आर्थिक विकास में सहभागी बन सकते हैं।
एनएस रहमानी, निदेशक, मत्स्य विभाग

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