इस संसार से विदा हो गए पंडित कृष्ण गोपाल पांडेय

Pandit Krishna Gopal Pandey has departed from this world

महेश पांडे

पंडित कृष्ण गोपाल पांडेय जी मंगलवार नवंबर 26 को इस असार संसार से विदा हो गए। मेरे विचार में हम दोनों ने लगभग 55 साल पूर्व लखनऊ में पत्रकारिता शुरू की। उन्होंने राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी यू एन आई में काम शुरू किया और कालांतर में नई दिल्ली आ गए। मैने कुछ सालों तक दैनिक स्वतंत्र भारत एवं अंग्रेजी दैनिक पायोनियर में काम करने के बाद टाइम्स ऑफ इंडिया ज्वाइन कर लिया। उनकी प्रतिभा के हम सभी कायल थे। इसलिए हमें आश्चर्य नहीं हुआ जब देश के उद्योगपतियों ने उनसे फिक्की में शामिल करने का अनुरोध किया। परिवार की बढ़ती जिम्मेदारियों के कारण भी उन्होंने शायद पत्रकारिता की मुख्य धारा छोड़ने का निर्णय किया था।

मुझे अकसर आश्चर्य होता था कि अपने प्रगतिशील विचारों के चलते वह किस प्रकार उनके लिए प्रचार का कार्य करते थे, किंतु जब उदारीकरण की शुरुआत हुई तो उनकी भूमिका ऐतिहासिक हो गई। लाइसेस राज और राजनैतिक संरक्षण में पले उद्योगपति, जिसमें बिरला बंधु जैसे बड़े नाम थे , सिर्फ दलाल बन कर रह गए थे। उस अवधि में पंडित जी एक गुमनाम सिपाही की भूमिका निभा रहे थे। उन्होंने पूंजीवादी व्यवस्था को लाइसेंस राज से मुक्त प्रतियोगिता के लिए वातावरण के लिए जो कार्य किया। अमित मित्र के वे सहयोगी थे, जिन्होंने प्रांत के वित्त मंत्री के रूप में बंगाल को राजनैतिक दलदल से मुक्त करा कर उद्योगों को रास्ते में लाने का प्रयास किया। पंडित जी का निजी जीवन सादगी की मिसाल थी। उन्होंने एक चिंतक एवं सहयोगी के रूप में सहयोग किया। वह मीडिया को सकारात्मक सोच का प्रतीक मानते थे। मुझे उनके इस असार संसार से विदा होने का निजी दुख है, किंतु एक ही कामना है कि उनकी भांति जनसंपर्क का आधार जनसेवा ही होना चाहिए। उन्होंने पब्लिक रिलेशन को नए ढंग से परिभाषित किया था। वह इस क्षेत्र के प्रकाश स्तंभ थे।

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