डॉ. राजेश्वर सिंह का सफलता का मंत्र: अपने लक्ष्य पर केन्द्रित रहें, कड़ी मेहनत करें, ईश्वर पर आस्था रखें

Dr. Rajeshwar Singh's Success Mantra: Stay focused on your goal, work hard, have faith in God

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ : आज का युग युवा शक्ति का युग है, और आज की पीढ़ी सबसे सौभाग्यशाली है, जिसके पास वे सभी संसाधन उपलब्ध हैं, जिनकी पहले केवल कल्पना की जा सकती थी। यह समय बेटियों के सपनों के पंख खोलने का है, उन्हें नई ऊंचाइयों तक उड़ान भरने का है। इसी संकल्प को साकार करने के लिए सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने नवयुग कन्या महाविद्यालय के फाउंडर्स डे के अवसर पर छात्राओं को प्रेरणादायी संबोधन दिया और उन्हें आत्मनिर्भरता, शिक्षा, तकनीकी दक्षता एवं संकल्पशक्ति की महत्ता से अवगत कराया।

इस अवसर पर विधायक ने महाविद्यालय के संस्थापक स्व. दीन दयाल जी को याद करते हुए कृतज्ञता व्यक्त की, उन्होंने 62 वर्ष पूर्व ही बेटियों की शिक्षा के महत्व को समझा और इस विद्यालय की नींव रखी। डॉ. सिंह ने कहा कि बीते दशकों में समाज की सोच में ऐतिहासिक परिवर्तन आया है। एक समय था जब बेटियों की शिक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता को परिवार और समाज सहज स्वीकार नहीं करता था। लेकिन आज, भारत में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जैसी सशक्त नारियां देश का नेतृत्व कर रही हैं। ये केवल पदों पर आसीन महिलाएं नहीं, बल्कि उन बेटियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं, जिन्होंने विषम परिस्थितियों में अपनी राह बनाई और समाज को दिखाया कि नारी शक्ति किसी से कम नहीं।

उन्होंने शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि आज भारत उच्च शिक्षा का दूसरा सबसे बड़ा हब बन चुका है। 4.2 करोड़ युवा उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिनमें 2.2 करोड़ बेटियां शामिल हैं। बेटियां आज हर क्षेत्र में सफलता का परचम लहरा रही हैं। कैप्टन शिवा चौहान सियाचिन ग्लेशियर में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनकर कठिनतम परिस्थितियों में देशसेवा का आदर्श स्थापित किया तो शिवांगी सिंह देश की पहली महिला राफेल लड़ाकू विमान पायलट बनकर आसमान में भारत की शक्ति का परचम लहरा रही हैं। सुरेखा यादव देश की पहली महिला लोको पायलट बनीं, लखनऊ की बेटी रितु करिधाल को ‘रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में भारत का नाम रोशन किया। यह प्रमाण है कि यदि बेटियों को सही अवसर मिले, तो वे असंभव को भी संभव बना सकती हैं।

शिक्षा और संसाधनों की उपलब्धता पर बल देते हुए विधायक ने कहा कि नवयुग कन्या महाविद्यालय की छात्राएं अत्यंत सौभाग्यशाली हैं कि उनके पास काउंसलिंग सेल, प्लेसमेंट सेल जैसे सभी आधुनिक संसाधन उपलब्ध हैं। हमारी बेटियां अपने कैरियर को लेकर स्पष्ट हैं, यही हमारी वास्तविक उन्नति है। अपने लक्ष्य पर फोकस रहिये, मेहनत कीजिये और ईश्वर पर विश्वास रखिये सफलता का यही मूल मन्त्र है, आईआईटी धनबाद से बी. टेक के बाद भी समाज शास्त्र में परास्नातक और लॉ की पढाई के अपने अनुभव को साझा करते हुए विधायक ने कहा आप स्वय को जितना इम्प्रूव करेंगे जीवन में उतना आगे बढ़ेंगे, उतना बेहतर परफॉर्म करेंगे।

उन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली में हुए बदलावों का जिक्र करते हुए कहा कि जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ था, तब साक्षरता दर मात्र 18% थी और बेटियों की साक्षरता दर 10% से भी कम थी। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। आज का युग ग्लोबल प्रतिस्पर्धा का युग है, जहां यूपीएससी जैसी परीक्षाओं में 14-15 लाख युवा आवेदन करते हैं, लेकिन मात्र 1000 से भी कम को सफलता मिलती है। इस कठिन प्रतिस्पर्धा के दौर में केवल वे ही आगे बढ़ सकते हैं, जो लक्ष्य पर केंद्रित रहकर मेहनत करते हैं। स्वास्थ्य और खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर देते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि 2030 तक विश्व में प्रत्येक दसवां ओबेसिटी से ग्रसित बच्चा भारतीय होगा। यदि शारीरिक रूप से फिट नहीं रहेंगे, तो मानसिक रूप से भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। इसलिए युवाओं को खेल-कूद में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।

डिजिटल शिक्षा और तकनीकी कौशल की अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि 2030 तक वर्तमान की 8.5 करोड़ नौकरियां समाप्त हो जाएंगी, जबकि डिजिटल स्किल्स आधारित 9.5 करोड़ नई नौकरियां सृजित होंगी। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी जेंडर न्यूट्रल होती है, यानी इसमें किसी भी वर्ग या लिंग का भेदभाव नहीं होता। बेटियों को चाहिए कि वे इन तकनीकी अवसरों को पूरी तरह से आत्मसात करें और डिजिटल स्किल्स में दक्ष बनें।

बेटियों के उज्ज्वल भविष्य को लेकर आश्वस्त होते हुए उन्होंने कहा, “कहा जाता है कि किसी राष्ट्र का भविष्य देखना हो, तो उसके युवाओं के चेहरे को देखो। और मैं आज बेटियों के आत्मविश्वास, संकल्प और जज्बे को देखकर निश्चिंत हूं कि भारत का भविष्य उज्ज्वल और गौरवशाली है।” अपने संबोधन के अंत में विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने सरोजनीनगर में युवाओं को बेहतर शिक्षा और संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब तक 30 से अधिक विद्यालयों, विशेष रूप से गर्ल्स कॉलेजों में डिजिटल लैब्स स्थापित की जा चुकी हैं, 18 कॉलेजों में स्मार्ट क्लासरूम बनाए गए हैं, और 1000 से अधिक मेधावी छात्र-छात्राओं को लैपटॉप, टैबलेट और साइकिल प्रदान कर सम्मानित किया गया है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने नवयुग कन्या महाविद्यालय में एक और स्मार्ट क्लासरूम स्थापित करने का संकल्प व्यक्त किया।इस अवसर पर ऐश्वर्या सिंह जी, डॉ. मंजुला उपाध्याय जी एवं डॉ. विनीता सिंह जी द्वारा संकलित पुस्तक ‘भारतीय ज्ञान परंपरा के सन्दर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020’ का विमोचन भी किया गया।

कार्यक्रम में प्रबंध समित के अध्यक्ष कौशल कुमार अग्रवाल, प्रबंधक प्रतिनिधि अमित दयाल, प्राचार्य प्रो. मंजुला उपाध्याय, प्रो. मनोज पाण्डेय, प्रो. विनोद चंद्रा, प्रो. संजय मिश्रा, प्रो. संगीता कोटवाल, मेजर मनप्रीत कौर एवं शिक्षा व सामाजिक जगत से जुडी अन्य विभूतियाँ मौजूद रही।

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