मध्यप्रदेश, सौर ऊर्जा प्रदेश बनने की ओर अग्रसर, रीवा सौर परियोजना को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने केस स्टडी के रूप में किया शामिल

Madhya Pradesh is moving towards becoming a solar energy state, Rewa Solar Project included as a case study by Harvard University.

रक्षा-राजनीती नेटवर्क

भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश में जहाँ एक ओर विश्व की सबसे बड़ी रीवा सौर परियोजना स्थापित होकर शुरू हो चुकी है। इस परियोजना को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने केस स्टडी के रूप में शामिल किया है। वहीं दूसरी ओर ओंकारेश्वर में प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी पर दुनिया की सबसे बड़ी 600 मेगावाट क्षमता की फ्लोटिंग सोलर परियोजना भी विकसित की जा रही है। इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न अंचलों में भी सौर ऊर्जा की कई छोटी-बड़ी परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हाल ही में गुजरात के गांधी नगर में नवकरणीय ऊर्जा को लेकर हुई राष्ट्रीय समिट में अनेक उद्योगपतियों ने मध्यप्रदेश में सोलर प्लांट लगाने की इच्छा जाहिर की है। राजधानी भोपाल में सरकारी भवनों और नागरिकों को अपने घर की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिये अभियान चलाया जायेगा। इन सभी प्रयासों से मध्यप्रदेश, सौर ऊर्जा प्रदेश बनने की अग्रसर हो गया है।

आदर्श उदाहरण के रूप में पढ़ाया जा रहा है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में

दुनिया की सबसे प्रसिद्ध हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में मध्यप्रदेश स्थित विश्व के सबसे बड़े रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर पार्क और प्लांट के उत्कृष्ट प्रबंधन, संचालन और सौर ऊर्जा उत्पादन को आदर्श उदाहरण के रूप में पढ़ाया जा रहा है। रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट न सिर्फ़ विश्व का सबसे बड़ा प्लांट है, बल्कि विश्व में सबसे सस्ती दर पर व्यावसायिक उर्जा उत्पादन करने वाला प्लांट भी है। यहां से 3 रूपये 30 पैसे प्रति यूनिट बिजली अगले 25 सालों के लिए उपलब्ध हो सकेगी

मध्यप्रदेश में भरपूर सौर ऊर्जा है। यहां 300 से ज्यादा दिनों तक सूर्य का प्रकाश रहता है। विश्व बैंक के क्लीन टेक्नालॉजी फंड के माध्यम से वित्त पोषित देश की पहली सौर परियोजना है। आज विश्व के 10 सर्वाधिक बड़ी सोलर परियोजनाओं में से आधी भारत में है। रीवा सोलर पॉवर प्लांट इनमें से एक है।

कैसे हुई शुरूआत

भारत सरकार ने वर्ष 2014 में सोलर पार्क योजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य सोलर पॉवर को बढ़ावा देना था। इस योजना में 500 मेगावाट क्षमता से ज्यादा की सोलर परियोजनाओं को सोलर पार्क में शामिल किया गया और उन्हें अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क कहा गया। केस स्टडी में बताया गया कि भारत में 4 लाख 67 हजार वर्ग मीटर बंजर भूमि आंकी गई है। इसका उपयोग सोलर प्लांट लगाने में किया जा सकता है। मध्यप्रदेश में 1579 हेक्टेयर जमीन का आंकलन किया गया, जिसमें 1255 हेक्टेयर बंजर जमीन सरकारी और 384 हेक्टेयर प्राइवेट जमीन शामिल है। इस प्रकार रीवा सोलर अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट बनने की शुरुआत हुई।

रीवा सोलर पॉवर प्लांट की यात्रा दिलचस्प है। इसकी शुरुआत जून 2014 में बड़वार गांव में 275 हेक्टेयर जमीन आवंटन के साथ शुरू हुई। राज्य सरकार ने अप्रैल 2015 में रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट की स्थापना का अनुमोदन किया। दो महीने बाद रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड की स्थापना हुई, जिसमें म.प्र. ऊर्जा विकास निगम और एसईसीआई के साथ 50 -50 प्रतिशत का जॉइंट वेंचर स्थापित हुआ। इसके बाद बड़वार, बरसेटा देश, बरसेटा पहाड़, इतर पहाड़, रामनगर पहाड़ गांवों में 981 हेक्टेयर जमीन का आवंटन हुआ। वर्ष 2018-19 तक और भी गांव में उपलब्ध बंजर जमीन को परियोजना के लिए आवंटित किया गया। अप्रैल 2019 में दिल्ली मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन को पॉवर सप्लाई देना शुरू हुआ। जनवरी 2020 से पूरी तरह से व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया।

Related Articles

Back to top button