भारत के कृषि क्षेत्र ने लचीलापन दर्शाया, वित्त वर्ष 2017 से 2023 के दौरान औसत 5 प्रतिशत वृद्धि दर दर्ज

India's agriculture sector shows resilience, records average 5 percent growth rate during fiscal year 2017 to 2023

  • पिछले एक दशक में कृषि आय में सालाना 5.23 प्रतिशत वृद्धि
  • संबद्ध क्षेत्र कृषि विकास के संवाहक बनेः आर्थिक समीक्षा
  • 2024 में खरीफ अनाज उत्पादन 1647.05 एलएमटी तक पहुंचेगा
  • भारत का खाद्य निर्यात कुल निर्यात का 11.7 प्रतिशत, सी फूड निर्यात ने वित्त वर्ष2020 से 2024 तक 29.70 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की
  • सरकार ने पोषक अनाज (श्रीअन्न), दलहन, तिलहन, अरहर, बाजरा, मसूर और रेप सीड के एमएसपी में वृद्धि की
  • खाद्य प्रसंस्करण के लिए पीएलआई योजनाः लाभार्थियों ने 8,910 करोड़ रुपए का निवेश किया, अक्तूबर 2024 तक 1,084.01 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन प्राप्त किए
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए सरकार देशभर में 100 प्रतिशत ई-केवाईसी लागू करने को पूरी तरह प्रतिबद्ध

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

केंद्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश करते हुए कहा कि सरकार ने सिंचाई सुविधाओं को सुगम बनाने के लिए कृषि विकास और जल संरक्षण परिपाटियों को प्राथमिकता दी है। वित्त वर्ष 2015-16 और वित्त वर्ष 2020-21 के बीच सिंचाई क्षेत्र का कवरेज सकल फसली क्षेत्र (जीसीए) 49.3 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है, जबकि सिंचाई की सघनता 144.2 प्रतिशत से बढ़कर 154.5 प्रतिशत हो गई है।

सूक्ष्म सिंचाई

प्रति बूंद अधिक फसल

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 2015-16 के वित्तीय वर्ष से, सरकार जल दक्षता को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के एक घटक, प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) पहल को लागू कर रही है। पीडीएमसी योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्यों को 21968.75 करोड़ रुपए जारी किए गए और 95.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया, जो प्री-पीडीएमसी अवधि की तुलना में लगभग 104.67 प्रतिशत अधिक है।

लघु सिंचाई कोष

लघु सिंचाई कोष (एमआईएफ) राज्यों को एमआईएफ के तहत प्राप्त ऋणों पर 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान के माध्यम से नवीन परियोजनाओं को समर्थन प्रदान करता है। इस संबंध में 4709 करोड़ रुपए की ऋण राशि को मंजूरी दी गई है, जिसमें से अब तक 3640 करोड़ रुपए की राशि वितरित की जा चुकी है।

वर्षा आधारित क्षेत्र विकास कार्यक्रम

वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (आरएडी) कार्यक्रम को वित्त वर्ष 2014-15 से राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) के अंग के रूप में कृषि प्रणालियों के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों के विकास और संरक्षण के लिए लागू किया गया है। इसके आरंभ से अब तक, आरएडी कार्यक्रम के तहत 8.00 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए 1,858.41 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।

जैविक खेती

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2015 से दो समर्पित योजनाएं : परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन कार्यान्वित की हैं। पीकेवीवाई के तहत, 14.99 लाख हेक्टेयर और 25.30 लाख किसानों को कवर करने वाले 52,289 क्लस्टर स्थापित किए जा चुके हैं। इसी तरह, एमओवीसीडीएनईआर के तहत 434 किसान उत्पादक कंपनियां बनाई जा चुकी हैं, जो कुल 1.73 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हैं और 2.19 लाख किसानों को लाभान्वित करती हैं।

सहकारी समितियां

भारत में सहकारी समितियां कृषि, ऋण और बैंकिंग, आवास और महिला कल्याण सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए, भारत सरकार ने विभिन्न रणनीतिक पहलों को लागू किया है। इनमें विशेष रूप से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के लिए मॉडल उपनियम की शुरूआत शामिल है, जो उनके संचालन के लिए संगठित प्रणाली प्रदान करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। सहकारी परिदृश्य को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से किए गए अन्य उल्लेखनीय उपायों में खुदरा पेट्रोल और डीजल आउटलेट की स्थापना और सहकारी समितियों के भीतर माइक्रो-एटीएम लागू करना शामिल है ताकि बैंकिंग सेवाओं तक आसान पहुंच की सुविधा मिल सके। इसके अलावा, विशेष रूप से डेयरी सहकारी समितियों के लिए रूपे किसान क्रेडिट कार्ड जारी करना है, जिसका उद्देश्य इन संस्थाओं और इनके सदस्यों की वित्तीय क्षमताओं में सुधार लाना है।

वंचित पंचायतों में 9,000 से अधिक नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस), डेयरी और मत्स्य पालन सहकारी समितियां स्थापित की गई हैं, जिन्हें विभिन्न संघों से समर्थन प्राप्त हुआ है। अधिक पहुंच के लिए सरकार के प्रयास के हिस्से के रूप में, 240 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) ने खुदरा पेट्रोल और डीजल आउटलेट के लिए आवेदन किया है, जिनमें से 39 को वर्तमान में संचालन के लिए चुना गया है, जिससे उनकी सेवाओं की संख्या का विस्तार हुआ है। इसके अलावा, 35,293 प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस) अब प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) के रूप में काम कर रही हैं, जो किसानों को आवश्यक उर्वरक और संबंधित सेवाएं प्रदान करने के लिए समर्पित हैं, जो सीधे कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती है। इसके अलावा, 1,723 माइक्रो-एटीएम वितरित किए गए हैं, जिससे घर-घर में वित्तीय सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं और ग्रामीण आबादी के लिए वित्तीय पहुंच बढ़ रही है।

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