
रक्षा-राजनीति नेटवर्क
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के गठन की स्मृति और डब्ल्यूएमओ दिवस 2025 के उपलक्ष्य में 14 अप्रैल 25 को भारतीय नौसेना ने मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान पर संगोष्ठी “मेघयान 25” के तीसरे संस्करण का आयोजन किया। दिल्ली के नौसेना भवन में आयोजित इस संगोष्ठी का वर्चुअल उद्घाटन नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने किया। इस संगोष्ठी में विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों, उच्च पदस्थ नौसेना अधिकारियों, बाहरी मेहमानों और मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान से जुड़े प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी), भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस), राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), भारतीय वायु सेना, अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एसएसी), इसरो, अहमदाबाद, राष्ट्रीय समुद्री फाउंडेशन (एनएमएफ) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (आईआईटी-एम) जैसे प्रमुख संगठनों की इस कार्यक्रम में भागीदारी रही। यह संगोष्ठी इस वर्ष के डब्ल्यूएमओ दिवस के विषय – ‘प्रारंभिक चेतावनी गैप को एक साथ पाटना’ के अनुरूप आयोजित की गई।
तकनीकी कार्यक्रम को दो ज्ञानवर्धक सत्रों में विभाजित किया गया था, जिनमें से प्रत्येक सत्र का संचालन अनुभवी विषय विशेषज्ञों द्वारा किया गया। भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) के प्रिंसिपल और वरिष्ठ मौसम विज्ञान अधिकारी रियर एडमिरल जी रामबाबू द्वारा संचालित पहले सत्र में कई व्यावहारिक प्रस्तुतियों की श्रृंखला शामिल थी, जिसमें समुद्री मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान में अत्याधुनिक विकास को प्रदर्शित किया गया था। कमोडोर एसएमयू अतहर, कमोडोर (एनई) द्वारा संचालित दूसरे सत्र ने मौसम पूर्वानुमान में सांख्यिकीय दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया। दोनों सत्र उत्तेजक प्रश्नोत्तर के साथ समाप्त हुए, जिसमें दर्शकों की सक्रिय भागीदारी थी। इस कार्यक्रम में एक गहन और विचारोत्तेजक पैनल चर्चा भी हुई जिसका विषय था “प्रारंभिक चेतावनी गैप को एक साथ पाटना: समुद्री सुरक्षा और समन्वय को बढ़ाना”, जिसमें समुद्री सुरक्षा और तैयारियों के लिए एकीकृत रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए विशेषज्ञ एक साथ आए। चर्चा का संचालन वीएडीएम प्रदीप चौहान (सेवानिवृत्त), महानिदेशक एनएमएफ ने बड़ी कुशलता से किया। इस कार्यक्रम में एक तीक्ष्ण और विचारोत्तेजक पैनल चर्चा भी शामिल थी, जिसका ध्यान “प्रारंभिक चेतावनी गैप को एक साथ पाटना: समुद्री सुरक्षा और समन्वय को बढ़ाने” पर केंद्रित था।
अंतिम सत्र की अध्यक्षता नौसेना उप प्रमुख वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन ने की। इस कार्यक्रम में नौसेना के डिप्टी चीफ एडमिरल तरुण सोबती, भारत सरकार के मुख्य हाइड्रोग्राफर वाइस एडमिरल लोचन सिंह पठानिया और अनुभवी मौसम विज्ञान अधिकारी भी शामिल हुए। डॉ. नीलेश देसाई, निदेशक एसएसी, अहमदाबाद ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपनी उपस्थित दर्ज कराई जबकि डॉ. मृत्युंजय महापात्रा, महानिदेशक आईएमडी और डब्ल्यूएमओ के ओनारेरि उपाध्यक्ष ने मुख्य भाषण दिया।
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण नौसेना के मौसम विज्ञान विशेषज्ञता के अग्रणी, कमोडोर पीआई ओमन (सेवानिवृत्त) का सम्मान था। 94 वर्षीय युवा नौसेना समुद्र विज्ञान और मौसम विज्ञान के पहले प्रधान निदेशक ने सभा को संबोधित किया और दर्शकों के साथ कुछ अनमोल यादें और अनुभव साझा किए।
भारतीय नौसेना के भीतर मौसम विज्ञान संबंधी सेवाओं में निरंतर सुधार की खोज को ध्यान में रखते हुए। मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान उपग्रह डेटा अभिलेखीय केंद्र – भारतीय नौसेना (एमओएसडीएसी-आईएन ) वेब सेवाओं, नौसेना समुद्र विज्ञान और मौसम विज्ञान निदेशालय (डीएनओएम) और एसएसी के बीच एक संयुक्त सहयोग है, को आधिकारिक तौर पर डॉ नीलेश देसाई द्वारा लॉन्च किया गया। एमओएसडीएसी-आईएन, जो व्यक्तिगत नौसेना मौसम कार्यालयों के लिए अलग-अलग लॉग-इन के साथ अनुकूलित उपग्रह व्युत्पन्न मौसम उत्पाद प्रदान करता है।
करीब 10 वर्षों के अंतराल के बाद, इस संगोष्ठी ‘मेघायन-25’ के दौरान नौसेना की पेशेवर मौसम और समुद्र विज्ञान पत्रिका का “सागरमंथन” का 10वां अंक भी पुनः प्रकाशित किया गया।