‘बेटी बचाओ’ से ‘न्याय दिलाओ’ तक, योगी सरकार की नारी अदालतें बदल रहीं ग्रामीण महिलाओं की सोच

From 'Beti Bachao' to 'Get justice', Yogi government's Nari Adalats are changing the thinking of rural women

– नारी अदालतों के जरिए महिलाओं को मिल रहा योजनाओं का लाभ और अधिकारों की समझ
– बहराइच से सोनभद्र तक अब हर गांव में गूंज रही है नारी जागरूकता की आवाज
– आठ आकांक्षात्मक जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुई योजना ‘नारी अदालत’ ने पकड़ी रफ्तार
– चर्चा, संवाद और समाधान के लिए तैयार हो रहा नया सामाजिक तंत्र, सीएम योगी का ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का अभिनव प्रयास

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ : योगी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तीकरण को नई दिशा देने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। इस कड़ी में शुरू की गई ‘नारी अदालत’ महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ विभागीय योजनाओं की जानकारी सीधे उन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है। केंद्र सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही योगी सरकार इस योजना के माध्यम से न केवल महिलाओं को जानकारी से सशक्त बना रही है, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की हिम्मत भी दे रही है।

प्रदेश की महिला एंव बाल विकास विभाग द्वारा संचालित ‘नारी अदालत’ योजना ग्रामीण स्तर पर 07 से 11 महिलाओं के समूह के माध्यम से कार्य कर रही है। इसके माध्यम से प्रदेश में खास कर महिलाओं के लिए संचालित योजनाओं जैसे वन स्टॉप सेंटर, 181-वुमेन हेल्पलाइन, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी आम जनमानस तक पहुंचाया जा रहा है। यह पहल महिलाओं को प्रशासनिक ढांचे और सरकारी योजनाओं से जोड़कर उन्हें सशक्त नागरिक बनाने की दिशा में कारगर सिद्ध हो रही है।

पाइलेट प्रोजक्ट के रूप में प्रदेश के आठ जिलों में संचालित है योजना
इस योजना को प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जनपदों—बहराइच, बलरामपुर, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और सोनभद्र में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रारंभ किया गया है। इन जिलों में महिलाओं के लिए विभागीय योजनाओं को सहज, सुलभ और प्रभावी रूप में उन तक पहुंचाया जा रहा है, ताकि वे शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वावलंबन से जुड़ी विभिन्न योजनाओं का पूरा लाभ उठा सकें। ‘नारी अदालतों’ के माध्यम से प्रदेश की दूर-दराज़ की महिलाओं को वन स्टॉप सेंटर जैसी सेवाओं की उपयोगिता, घरेलू हिंसा और लैंगिक समानता जैसे विषयों पर भी जागरूक किया जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में महिलाओं को समूह आधारित संवाद से जोड़ा जा रहा है, जिससे एक सशक्त सामाजिक परिवर्तन की नींव रखी जा रही है। यही नहीं इन अदालतों में महिलाओं की पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का भी निदान किया जा रहा है और महिलाओं को उनसे जुड़े कानून, अधिकारों के बारे में भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह प्रयास ग्रामीण महिलाओं को न केवल जागरूक कर रहा है, बल्कि उन्हें एक मंच भी प्रदान कर रहा है जहां वे अपनी समस्याएं साझा कर सकें और उनके समाधान खोज सकें। यह पहल ‘सशक्त महिला, सशक्त समाज’ की अवधारणा को वास्तविक रूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सभी आठ जिलों में संचालित इस योजना का फीडबैक भी लिया जा रहा है, जिसके आधार पर योगी सरकार इसे सभी 75 जिलों में संचालित करने की तैयारी में है। यह पहल महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।

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