यूपी के नगरीय स्कूलों के स्मार्ट क्लास रूम ला रहे हैं शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल क्रांति

Smart class rooms in urban schools of UP are bringing digital revolution in the education sector

  • नगर विकास विभाग 324.56 करोड़ रूपये से प्रदेश में बना रहा हैं 2,700 स्मार्ट क्लास रूम
  • प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में 1,780 स्मार्ट क्लास रूम बन कर हो चुके हैं तैयार
  • स्मार्ट सिटी, आकांक्षी नगर, सीएम कम्पोजिट स्कूल और वैश्विक नगरोदय योजनाओं के तहत बने हैं स्मार्ट क्लास रूम
  • स्मार्ट क्लास रूम से प्रदेश के निम्न वर्ग के छात्रों को मिल रहा है डिजीटल शिक्षा का लाभ
  • यूपी के परिषदीय स्कूलों में नामांकन दर बढ़ कर हो गई है 60 फीसदी

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विजन के अनुरूप नगर विकास विभाग ने प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के स्कूलों विशेष रूप से परिषदीय स्कूलों में शिक्षा को डिजिटल और आधुनिक स्वरूप देने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। नगर विकास विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के तहत लगभग 324.56 करोड़ रुपये की लागत से 2,700 से अधिक स्मार्ट क्लासरूम्स की स्थापना की गई है। जिनमें से लगभग 1,780 स्मार्ट क्लास रूम पूरी तरह तैयार हो कर संचालित हैं। विभाग के इस सराहनीय पहल का लाभ विशेष रूप से शहर के निम्न आय वर्ग के छात्रों को मिल रहा है। जो एक ओर डिजिटल व आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं साथ ही वो तकनीकि रूप से भी सक्षम बन रहे हैं। इसका परिणाम है कि प्रदेश के शहरी परिषदीय स्कूलों के नामांकन में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

स्मार्ट सिटी योजना के तहत प्रदेश में बने हैं 1,183 स्मार्ट क्लास रूम

नगर विकास विभाग ने प्रदेश के शहरी क्षेत्र स्कूलों विशेष रूप से परिषदीय स्कूलों में शिक्षा सुविधा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लगभग 2,700 स्मार्ट क्लास रूम की स्थापना की है। विभाग ने अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लगभग 324.56 करोड़ रुपये की मद से स्मार्ट क्लास रूम स्थापित कर रहा है। इसके तहत सर्वाधिक स्मार्ट क्लास रूम स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत लगभग 160.83 करोड़ रूपये की लागत से कुल 1,183 स्मार्ट क्लास रूम की परियोजनाएं स्वीकृत की गयी हैं। जिनमें से प्रदेश के स्मार्ट सिटीज़ में 1,088 कक्षाएं पूर्ण रूप से क्रियाशील हैं। साथ ही ‘कायाकल्प’ पहल के तहत लगभग 190 स्मार्ट क्लास रूम 57.66 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई हैं।

नगर विकास विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत बने हैं स्मार्ट क्लास रूम

यूपी के नगर विकास योजना के आकांक्षी नगर योजना के तहत आकांक्षी नगरों में लगभग 29.43 करोड़ रुपये की लागत से 913 स्मार्ट क्लासरूम्स की स्वीकृति मिली थी जिसमें से 408 कक्षाएं स्मार्ट क्लासेज बन कर तैयार हो कर संचालित हो रही हैं जबकि 505 निर्माणाधीन हैं। साथ ही 398 नई कक्षाओं को भी स्वीकृति प्रदान की है। वहीं सीएम अभ्युदय कॉम्पोजिट स्कूल योजना के अंतर्गत 25 विशेष क्लासरूम बनाये जा रहे हैं। वहीं वैश्विक नगरोदय योजना के अंतर्गत 13 और कायाकल्प परियोजनाएं के तहत 4.25 करोड़ रुपये की लागत से स्मार्ट क्लास रूम की निर्माण किया जा रहा है।

शहर के निम्न वर्ग के छात्रों को मिल रहा है डिजीटल शिक्षा का लाभ

नगर विकास विभाग ने प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में निम्न आय वर्ग के छात्रों को आधुनिक एवं डिजीटल शिक्षा की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से स्मार्ट क्लास रूम स्थापित किये हैं। ये क्लासरूम्स इंटरएक्टिव डिजिटल बोर्ड्स, मल्टीमीडिया लर्निंग कंटेंट और हाई-स्पीड इंटरनेट जैसी आधुनिक सुविधाओं से युक्त हैं, जिससे शिक्षण प्रक्रिया अधिक प्रभावशाली और इंटरैक्टिव बनाया जा रहा है। स्मार्ट क्लास रूम के बारे में बताते हुए नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने कहा कि हम शहरी शिक्षा को एक नए आयाम में ले जा रहे हैं। ये स्मार्ट क्लासरूम्स न केवल छात्रों को तकनीक से जोड़ रहे हैं बल्कि उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस पहल का सकारात्मक परिणाम विशेष रूप से शहर के परिषदीय स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति दर और नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

यूपी के परिषदीय स्कूलों में नामांकन दर बढ़ कर हो गई है 60 फीसदी

नगर विकास विभाग की यह पहल न केवल डिजिटल शिक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह प्रदेश के शहरी क्षेत्र में शिक्षा के स्तर में गुणवत्तापूर्ण सुधार भी ला रहा है। नगर विकास विभाग के प्रयास से विभिन्न योजनाओं के तहत 2022 से शुरू हुये इस अभियान के तहत स्वीकृत 65 प्रतिशत से अधिक स्मार्ट क्लास रूम का संचालन हो रहा है। जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में नामांकन दर बढ़कर 59.6 प्रतिशत हो गई है जो राष्ट्रीय औसत से भी लगभग 15 प्रतिशत अधिक है। यही नहीं स्मार्ट क्लास रूम से छात्रों की सीखने की क्षमता और शिक्षा के प्रति रूझान में वृद्धि हुई है। परिषदीय स्कूलों में छात्रों के ड्राप आउट में भी उल्लेखनीय कमी आई है।

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