राशन की कालाबाजारी पर योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई, बुलन्दशहर में कई अधिकारियों पर गिरी गाज

Big action by Yogi government on black marketing of ration, many officials were punished in Bulandshahr

  • योगी सरकार के आदेश पर गठित उच्चस्तरीय जांच समिति ने खोली भ्रष्टाचार की पोल
  • राशन की कालाबजारी में संलिप्त पाए गए कई अधिकारियों पर योगी सरकार का शिकंजा
  • जिलापूर्ति अधिकारी, विपणन निरीक्षक, पूर्ति निरीक्षक, जिला खाद्य विपणन अधिकारी तत्काल प्रभाव से निलंबित

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ/बुलन्दशहर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार लगातार भ्रष्टाचार पर शिकंजा कस रही है। सरकारी योजनाओं और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दी जाने वाली सुविधाओं का दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर अब कोई भी ढील नहीं दी जा रही है। बुलन्दशहर जिले में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के गोदाम से राशन की कालाबाजारी करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेकेदारों पर कठोर कार्रवाई की गई है। इन सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 की धारा 3/7 के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया है।

खाद्य एवं रसद विभाग आयुक्त सौरभ बाबू ने बताया कि सरकार गरीबों के हक के साथ खिलवाड़ करने वाले भ्रष्टाचारियों पर पूरी गंभीरता से कार्रवाई कर रही है। जिलाधिकारी को राशन की कालाबाजारी की शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसके बाद इस गंभीर मामले की जांच के लिए अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की गई। समिति ने सिंगल स्टेज परिवहन व्यवस्था की जांच की, जिसमें पाया गया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित किए जाने वाले सरकारी खाद्यान्न का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है।

राशन की कालाबजारी में संलिप्त पाए गए कई अधिकारी
समिति की जांच में सामने आया कि हैंडलिंग एवं परिवहन ठेकेदार रविन्द्र सिंह, विपणन निरीक्षक सुधीर कुमार, विपणन निरीक्षक अंकुर सिंह, लेबर मेट शिवकुमार उर्फ शिब्बु और वकील खां, पिंकी तथा पवन सरकारी राशन की कालाबाजारी और दुरुपयोग में संलिप्त थे। खाद्यान्न जिसे गरीबों और जरूरतमंदों तक पहुंचना था उसे बाजार में अवैध रूप से बेचा जा रहा इन सभी पर भारतीय दंड संहिता और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के नियमों अनुपालन में हुई लापरवाही
मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने मुख्यालय से अपर आयुक्त (स्थापना) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया। इस समिति ने मौके पर जाकर पूरी जांच की, जिसमें स्पष्ट हुआ कि सिंगल स्टेज डोर स्टेप डिलीवरी व्यवस्था और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्य निर्देशों का सही तरीके से पालन नहीं किया गया था। संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने पर्यवेक्षणीय कर्तव्यों का निर्वहन ठीक से नहीं किया, जिससे सरकारी राशन का दुरुपयोग हुआ।

जांच के बाद विपणन निरीक्षक सुधीर कुमार, पूर्ति निरीक्षक विवेक श्रीवास्तव और जिला खाद्य विपणन अधिकारी जिया अहमद करीम को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। इसके अलावा, जिलापूर्ति अधिकारी सुनील सिंह को भी निलंबित किया गया है और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

अन्य अधिकारियों पर भी गिरी गाज
खाद्यान्न वितरण में लापरवाही और सरकारी रिकॉर्ड के सही रखरखाव न करने पर कई अन्य अधिकारियों पर भी गाज गिरी है। डिपो प्रभारी/ब्लॉक प्रेषण प्रभारी शालिनी पचौरी, क्षेत्रीय विपणन अधिकारी इन्द्रपाल सिंह, और विपणन निरीक्षक गौरव कुमार, विनोद कुमार दोहरे, मुकेश कुमार, राजीव शर्मा और मनोज कुमार के खिलाफ भी विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गई है। इन सभी अधिकारियों पर खाद्यान्न वितरण और अभिलेखों के समुचित रख-रखाव में गंभीर लापरवाही बरतने के आरोप है।

ठेकेदार को किया गया ब्लैकलिस्टेड
भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए गए परिवहन ठेकेदार रविन्द्र सिंह की फर्म को तत्काल प्रभाव से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। इस कार्रवाई ने प्रशासनिक तंत्र में हड़कंप मचा दिया है और जिले में खाद्यान्न वितरण व्यवस्था पर कड़ी नजर रखी जा रही है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को कठोरतम सजा दिलाने के लिए सभी आवश्यक कानूनी कदम उठाए जाएंगे।

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