भारतीय तटरक्षक बल ने पाकिस्तानी तटरक्षक के साथ मिलकर उत्तरी अरब सागर में संकटग्रस्त 12 नाविकों को बचाया

Indian Coast Guard in collaboration with Pakistan Coast Guard rescued 12 sailors in distress in North Arabian Sea

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

नई दिल्ली : भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने 04 दिसंबर, 2024 की तड़के उत्तरी अरब सागर से डूबे हुए भारतीय पोत एमएसवी अल पिरानपीर के 12 चालक दल के सदस्यों को बचाया। इस मानवीय खोज एवं बचाव मिशन में भारतीय तटरक्षक बल और पाकिस्तान समुद्री सुरक्षा एजेंसी (एमएसए) के बीच घनिष्ठ सहयोग किया। दोनों देशों के समुद्री बचाव समन्वय केंद्रों (एमआरसीसी) ने पूरे अभियान के दौरान निरंतर संपर्क बनाए रखा।

मशीनीकृत नौकायन पोत (ढाऊ) अल पिरानपीर पोरबंदर से रवाना हुआ था और यह बंदर अब्बास, ईरान के रास्ते पर था। पोत कथित तौर पर 04 दिसंबर की सुबह समुद्र में उथल-पुथल और बहाव के कारण डूब गया। इसके बाद आईसीजी के समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (एमआरसीसी) मुंबई को संकटकालीन कॉल प्राप्त हुई, जिसने गांधीनगर में आईसीजी क्षेत्रीय मुख्यालय (उत्तर पश्चिम) को तुरंत सतर्क कर दिया। आईसीजी जहाज सार्थक को तुरंत बताए गए स्थल पर भेजा गया। इस क्षेत्र में नाविकों को सचेत करने के लिए एमआरसीसी पाकिस्तान से भी संपर्क किया गया और उनकी सहायता तुरंत उपलब्ध कराई गई।

अग्रिम क्षेत्र में गश्त के लिए तैनात आईसीजीएस सार्थक अधिकतम गति से संभावित स्थान की ओर बढ़ा और व्यापक तलाशी अभियान चलाया। 12 चालक दल के सदस्य, जो अपनी नाव छोड़कर एक छोटी नाव में शरण ले रहे थे, उन्हें पाकिस्तान के खोज एवं बचाव क्षेत्र में द्वारका से लगभग 270 किमी पश्चिम में ढूंढ़ लिया गया और बचा लिया गया। जीवित बचे लोगों की खोज में पाकिस्तान के एमएसए विमान और व्यापारी जहाज एमवी कॉस्को ग्लोरी की मदद ली गई।

भारतीय तटरक्षक बल की त्वरित एवं समन्वित प्रतिक्रिया समुद्र में लोगों की जान बचाने के लिए उसकी अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। यह साहसिक बचाव अभियान क्षेत्र में समुद्री आपात स्थितियों से निपटने के लिए आईसीजी की क्षमताओं और तत्परता को दर्शाता है।

बचाए गए चालक दल के सदस्यों की आईसीजीएस सार्थक पर मौजूद चिकित्सा दल द्वारा जांच की गई और बताया गया कि उनका स्वास्थ्य ठीक है। उन्हें वापस गुजरात के पोरबंदर बंदरगाह ले जाया जा रहा है। भारतीय तटरक्षक बल ने एक बार फिर अपने आदर्श वाक्य “वयं रक्षामः” यानी कि “हम रक्षा करते हैं” को चरितार्थ करते हुए समुद्र में जीवन की रक्षा के प्रति अपने समर्पण का प्रदर्शन किया है।

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