सामाजिक-आर्थिक प्रगति का आधार : भारत की डिजिटल प्रगति !

The basis of socio-economic progress: India's digital progress!

सुनील कुमार महला

भारत निरंतर डिजिटल प्रगति की ओर अग्रसर हो रहा है।भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रा और वित्त पर जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत वैश्विक स्तर पर डिजिटल क्रांति में सबसे आगे है। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि आज भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई है। विश्व बैंक की ताज़ा रिपोर्ट भारत के तकनीकी विकास की सराहना करती नजर आती है क्यों कि आज भारत की तकनीकी प्रगति विभिन्न रिमोट एरिया (दूर-दराज के क्षेत्रों), विभिन्न छोटे और मंझले उद्यमियों के लिए फायदेमंद साबित होकर अंततः अर्थव्यवस्था को ही मजबूत कर रही है। आंकड़े बताते हैं कि भारत में इंटरनेट की पहुँच वर्ष 2023 में 55 % थी। पिछले तीन वर्षों में इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार में 199 मिलियन की वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, भारत में प्रति गीगाबाइट (जीबी) डाटा का मूल्य दुनिया भर में सबसे कम है, जो औसतन 13.32 रुपये प्रति जीबी है। यह भी उल्लेखनीय है कि आज भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा मोबाइल डाटा खपत वाले देशों में से एक है, जहाँ वर्ष 2023 में प्रति उपयोगकर्ता प्रति माह औसत खपत 24.1जीबी रही। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज देश का कमजोर वर्ग भी लगातार सशक्त हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि आज देश के करीब 53 करोड़ जनधन खातों, 138 करोड़ आधार कार्ड धारकों और 117 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं के त्रिआयामी जुड़ाव के जरिये आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है। यही नहीं, ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की उपलब्धता, जो महज छह करोड़ लोगों तक सीमित थी, पिछले दस वर्षों में करीब 94 करोड़ लोगों तक पहुंच चुकी है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि वैश्विक स्तर पर, भारत बायोमेट्रिक आधारित पहचान (आधार) और वास्तविक समय भुगतान की मात्रा में पहले स्थान पर है। वहीं दूसरी ओर दूरसंचार उपभोक्ताओं में दूसरे स्थान पर है और स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के मामले में तीसरे स्थान पर है। कुछ समय पहले भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रा और वित्त पर जो रिपोर्ट जारी की गई थी, उसके अनुसार भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था वर्तमान में इसके सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) के दसवें हिस्से का निर्माण करती है जो वर्ष 2026 तक जीडीपी का पांचवां हिस्सा हो जाएगी। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज वित्त, खुदरा, निर्यात क्षेत्र में डिजिटलीकरण को लगातार बढ़ावा मिला है। संक्षेप में यह बात कही जा सकती है कि आज भारत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे, एक जीवंत वित्तीय प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल का लाभ उठा रहा है। आज भारत में यूपीआइ सिस्टम की प्रशंसा देश-दुनिया में की जा रही है और छोटे से छोटे और बड़े से बड़े भुगतान आनलाइन किए जा रहे हैं। सच तो यह है कि यूपीआई सिस्टम से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला है। कितनी अच्छी बात है कि आज गांवों और सूदूर क्षेत्रों में भी आसानी से बैंकिंग सेवाओं का उपयोग हर कोई कर रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2023 में रिकॉर्ड तोड़ 118 बिलियन यूपीआई ​​लेनदेन वित्तीय परिदृश्य के डिजिटल परिवर्तन को उजागर करते हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज देश में डिजिटल प्रगति ने देश में आय सृजन के नए अवसर पैदा किए हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल भुगतान ने छोटे व्यापारियों व विक्रेताओं को व्यापक बाजार तक पहुंच दी है। माई गर्वनमेंट का उमंग ऐप 50 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं को 1700 से अधिक सरकारी सेवाओं तक आज पहुँच प्रदान कर रहा है। इतना ही नहीं, ई-हॉस्पिटल 380 मिलियन से अधिक पंजीकृत रोगियों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच को सरल बनाता है। पीएमजी दिशा ने ग्रामीण समुदायों में 50 मिलियन से अधिक व्यक्तियों को डिजिटल कौशल में प्रशिक्षित और प्रमाणित किया गया है। हालांकि इसी बीच साइबर फ्राड और ठगी एक चिंता का विषय जरूर रहा है। पाठकों को बताता चलूं कि गृह मंत्रालय ने अपनी 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि साल 2021 से मार्च 2024 के बीच भारत में 14,570 करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी हो चुकी है। इस रिपोर्ट के अनुसार देश में इस दौरान साइबर अपराध की 2.16 करोड़ शिकायतें आ चुकीं हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शिकायतों की संख्या 2021 में 136,604 से बढ़कर 2022 में 513,334 और 2023 में 1,129,519 हो गई है। 2024 में मार्च तक 381,854 शिकायतें दर्ज की गईं। यह दिखाता है कि देश में जैसे जैसे डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिला है, साइबर ठगों के भी हौंसले बुलंद हुए हैं। गौरतलब है कि दुनिया में साइबर हमलों के मामले में अमेरिका के बाद दूसरा नंबर भारत का ही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष यानी 2024 में भारत की 95 इकाइयों को डाटा चोरी का सामना करना पड़ा। यह हैरान कर देने वाली जानकारी साइबर इंटेलिजेंस कंपनी क्लाउडएसइके की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। पाठकों को बताता चलूं कि भारत के गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम एक बार फिर साइबर अपराधियों के पसंदीदा प्लेटफॉर्म बन गए हैं। रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि साइबर धोखाधड़ी के लिए व्हाट्सएप सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया जाने वाला प्लेटफॉर्म है, लेकिन कहना ग़लत नहीं होगा कि सतर्कता बरतकर इन साइबर ठगी और धोखाधड़ी से बचा जा सकता है। बहरहाल,पीडब्ल्यूसी इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई लेनदेन 2023-24 में 13,100 करोड़ रुपये से तीन गुना बढ़कर 2028-29 में 43,900 करोड़ रुपये हो जाएगा, जो डिजिटल खुदरा लेनदेन का 91 प्रतिशत होगा, जो यह दर्शाता है कि आज देश में यूपीआई समेत विभिन्न डिजिटल सेवाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत की डिजिटल प्रगति पिछले आठ-दस वर्षों में निस्संदेह सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का आधार बनी है, जो हाशिए पर खड़े व्यक्ति को भी मुख्यधारा में ला रही है। इससे विश्व स्तर पर भारत की स्थिति काफी मजबूत हुई है। सच तो यह है कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई, 2015 को शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी पहल डिजिटल इंडिया ने पिछले कुछ वर्षों में एक क्रांति का रूप ले लिया है और आज यह एक जन आंदोलन बन गया है। अंत में, यही कहूंगा कि आज आधार, यूपीआई और डिजी लॉकर जैसी पहलों का कार्यान्वयन फेसलेस, कैशलेस और पेपरलेस गवर्नेस सुनिश्चित कर रहा है जिसने एक मजबूत, सुदृढ़ और सुरक्षित डिजिटल इंडिया की नींव रखी है। निश्चित रूप से आने वाला समय भारत का ही होगा जब हम डिजिटलीकरण की दिशा में नंबर वन बन जायेंगे।

सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।

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