आस्था से लेकर अर्थव्यवस्था तक है धार्मिक पर्यटन का विस्तार

Religious tourism expands from faith to economy

  • विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ इनका चरम है
  • इस दौरान करोड़ों का कारोबार होगा तो लाखों को रोजगार भी मिलेगा

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ : पंजाब, हरियाणा और दिल्ली चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 60 फीसद से अधिक घेरलू यात्राएं धार्मिक स्थलों की होती हैं। धार्मिक पर्यटन आर्थिक उन्नति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं का अधिकतम लाभ लेने के लिए ऐसी सभी जगहों को बेहतरीन बुनियादी सुविधाओं, सड़क और एयर कनेक्टिविटी, आने वालों की सुरक्षा और सेवा देनी होती है।

उत्तर प्रदेश का देश ही नहीं दुनिया में धार्मिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। देश और दुनिया के हर हिंदू के आस्था के केंद्र भगवान श्रीराम की अयोध्या, राधा-कृष्ण ने जिस ब्रज भूमि पर रास रचाए थे, कृष्ण ग्वालबालों के साथ जहां खेले-कूदे, गोपियों के माखन चुराए वह मथुरा, बरसाना, नंदगांव, गोवर्धन भी उत्तर प्रदेश में ही है। वनवास के दौरान भगवान श्रीराम ने पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ जहां सर्वाधिक समय गुजारा था वह चित्रकूट भी उत्तर प्रदेश में है। इसके अलावा भी प्रदेश के हर जिले या यूं कह लें हर विधानसभा क्षेत्र में ऐसे धार्मिक स्थल हैं जहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग जाते हैं। खास अवसर या दिन को ये संख्या हजारों में पहुंच जाती है।

सीएम योगी की मंशा, यूपी को मिले धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं का अधिकतम लाभ
योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के साथ गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर के रूप में एक सन्यासी भी हैं। खुद गोरखनाथ मंदिर परिसर में मकर संक्रांति से करीब एक महीने तक लगने वाले मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। इस साल मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी चढ़ाने वालों की संख्या करीब 15 लाख रही। मेला संपन्न होते होते कुल संख्या और बढ़ जाएगी। ऐसे में धार्मिक पर्यटन और विधानसभा स्तर तक एक पर्यटन स्थल के विकास पर सरकार का खासा जोर है।

बड़े धार्मिक स्थलों के लिए योगी सरकार ने खजाना ही खोल दिया है। इसमें केंद्र सरकार भी मददगार है। मसलन अयोध्या में रामलला के दिव्य एवं भव्य मंदिर का निर्माण पूर्णता की ओर है। वर्ष 2025 में यह पूरा हो जाएगा। अयोध्या से गोरक्षपीठ का रिश्ता तीन पीढ़ियों का है। करीब 100 साल पुराने इसी रिश्ते के कारण योगी भगवान श्रीराम की स्वीकार्यता के अनुरूप अयोध्या को दुनिया का सबसे खूबसूरत धार्मिक पर्यटन स्थल बनाना चाहते हैं। इसके लिए हजारों करोड़ रुपये की लागत से करीब तीन दर्जन परियोजनाओं पर काम चल रहा। कुछ काम पूरे हो गए बाकी पूर्णता की ओर हैं। सब हो जाने के बाद अयोध्या फिर सप्तपुरियों जैसी हो जाएगी। इसी क्रम में भोलेनाथ की काशी में श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद वहां सालाना आने वाले पर्यटकों की संख्या 10 करोड़ के करीब हो गई है। विंध्यधाम, नाथ कॉरिडोर का काम प्रगति पर है। अयोध्या में दीपावली के एक दिन पहले योगी द्वारा शुरू किया दीपोत्सव, काशी की देव दीपावली, बरसाने की होली, मथुरा में जन्माष्टमी पर आयोजित होने वाले श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में समय समय पर खुद हिस्सा लेकर योगी ने इनके रंग को और चटक कर दिया।

विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन प्रयागराज का महाकुंभ तो इसका चरमोत्कर्ष है। इस चरम के सुखद,सुरक्षित और सफल समापन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कटिबद्ध हैं। इस संबंध में महाकुंभ से पहले उनके प्रयागराज के दौरे और पौष पूर्णिमा एवं मकर संक्रांति के स्नान पर्वों के तुरंत बाद मौनी अमावस्या के महत्वपूर्ण स्नान को लेकर की गई बैठक इसका प्रमाण हैं। यकीनन उनके प्रयासों से आस्था के ये महाकुंभ प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी उपयोगी होगा। कुछ महीनों के लिए ही सही लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। यही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा भी है।

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