सुखद संकेत : हमास-इजरायलबंदूकें शांत हो गई हैं गाजा में

Good sign: Hamas-Israel guns have fallen silent in Gaza

सुनील कुमार महला

हाल ही में गाजा में बंदूकें शांत हो गई हैं। यह बहुत ही अच्छे व सुखद संकेत हैं कि हाल ही में गाजा में फिलीस्तीनी चरमपंथी समूह हमास ने तीन इजरायली बंधकों की रिहाई की है। बताना चाहूंगा कि हाल ही में हमास ने तीन महिला बंधकों को पश्चिमी गाजा शहर में इजरायली संस्था रेड क्रॉस के हवाले कर दिया है, और अब 90 फिलिस्तीनी कैदियों को भी आजाद किया जाना है। पाठकों को बताता चलूं कि हमास द्वारा बंधक बनाए गए तीन बंधकों को 471 दिनों की कैद के बाद रिहा किया गया है।अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि ‘इतने दर्द और विनाश के बाद, आज गाजा में बंदूकें शांत हो गई हैं।’कहना ग़लत नहीं होगा कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी से ठीक पहले इस्राइल व हमास के बीच युद्धविराम समझौते के क्रियान्वयन की शुरुआत पूरे विश्व के लिए राहत व शांति की खबर लेकर आई है।वास्तव में, इजरायल और हमास ने यह फैसला डोनाल्‍ड ट्रंप के अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि पद की शपथ लेने से कुछ ही समय पहले ही क‍िया है। जैसा कि दोनों को ही यह पता था क‍ि ट्रंप के आने से समझौते की शर्तें बदल जाएंगी और फ‍िर हो सकता है क‍ि हमास को इसकी ज्‍यादा कीमत चुकानी पड़े। यह अच्छी बात है कि इजरायल और हमास में आगामी कई हफ्तों में दर्जनों बंधकों की क्रमिक रिहाई पर सहमति बनी है। गौरतलब है कि हमास, गाजा पट्टी में एक फिलिस्तीनी सशस्त्र समूह और राजनीतिक आंदोलन है। पाठकों को बताता चलूं कि गाजा पट्टी 140 वर्ग मील भूमि है जो भूमध्य सागर के तट के साथ इज़राइल के दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित है, जो अक्सर चर्चा में रहता है। पिछले से पिछले साल यानी कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमला किया था, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक बंधक बना लिए गए थे।इसके परिणामस्वरूप, गाजा में बड़े पैमाने पर इजरायली सैन्य आक्रमण शुरू हो गया, जिसमें हजारों फिलिस्तीनी मारे गए। यहां यह उल्लेखनीय है कि हमास को अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल और कई अन्य देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। पाठकों को जानकारी के लिए बताता चलूं कि कुछ समय पहले ही अमेरिका और मध्यस्थ कतर ने यह कहा था कि 15 जनवरी 2025 को इजरायल और हमास एक समझौते पर सहमत हो गए हैं, जिससे दोनों के बीच युद्ध रुक सकता है और इजरायली बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई हो सकती है। गौरतलब है कि हमास की शुरुआत वर्ष 1987 में मुस्लिम ब्रदरहुड की एक शाखा के रूप में हुई थी। वास्तव में, हमास नाम एक अरबी वाक्यांश से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है –‘इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन।’ दूसरे शब्दों में कहें तो गाजा पट्टी हमास के प्रशासन के अधीन है, जो इस्माइल हानियेह के नेतृत्व वाला एक राजनीतिक संगठन है। इसकी स्थापना 1987 में वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर इज़राइल के नियंत्रण की प्रतिक्रिया के रूप में की गई थी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हमास, फिलिस्तीनी भूमि पर इजरायल के अस्तित्व का विरोध करता रहा है। वह अपनी जगह पर और कब्जे वाले पश्चिमी तट, पूर्वी यरुशलम और गाजा में इस्लाम पर आधारित एक राज्य चाहता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हमास वर्ष 2007 से गाजा पट्टी पर एकमात्र शासक है, जिसके पास 7 अक्टूबर के हमलों से पहले, लगभग 30,000 लड़ाके होने का अनुमान था, लेकिन अगस्त में इज़राइल ने कहा कि उसके बलों ने उनमें से 17,000 से ज़्यादा को मार गिराया है, ऐसी खबरें मीडिया में हैं। हाल फिलहाल, दोनों के बीच (हमास-इजरायल) सीजफायर(युद्ध विराम) का समझौता हुआ है, वह विश्व शांति की दिशा में एक बड़ा कदम है। बड़ा कदम इसलिए क्यों कि अब दोनों के बीच करीब डेढ़- दो साल से जो तबाही मिड‍िल ईस्‍ट में मची हुई थी, वो अब खत्‍म होने जा रही है। पिछले डेढ़ दो साल में युद्ध से 50000 से ज्‍यादा लोग मारे गए हैं, अनेक विस्थापित हुए हैं और जान के साथ माल को भी बड़ा नुक़सान पहुंचा है।हमास ने कहा क‍ि उसने कतर और मिस्र के मध्‍यस्‍थों को यह जानकारी दे दी है क‍ि उसने युद्धव‍िराम समझौते को मंजूरी दे दी है। वास्तव में,इस समझौते से गाजा शहर और दक्षिणी गाजा में विस्थापित लाखों लोगों को अपने घरों, गांवों और कस्बों में वापस जाने का अवसर मिल सकेगा। पाठकों को जानकारी के लिए बताता चलूं कि अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी इजरायल और हमास के बीच हाल ही में हुई डील से खुश नजर आए हैं और उन्‍होंने ट्रुथ सोशल पर यह लिखा है कि, ‘हमारे पास मिड‍िल ईस्‍ट में बंधकों को र‍िहा करने के ल‍िए एक डील है।उन्‍हें जल्‍द रिहा क‍िया जाएगा, थैंक्‍यू।’ लेकिन यहां कहना ग़लत नहीं होगा कि स्थायी शांति के लिए दोनों पक्ष एक-दूसरे के समझौते की विभिन्न शर्तों को आपसी सहमति के साथ स्वीकार करें। इजरायल और हमास के बीच डील के बाद अब दोनों तरफ से बंधकों व कैदियों की रिहाई संभव होगी। पाठकों को बताता चलूं कि युद्ध के कारण गाजा क्षेत्र में बहुत नुक्सान पहुंचा है, लेकिन अब आपसी सहमति से दोनों के बीच मानवीय मदद का मार्ग भी खुल सकेगा। युद्ध विराम से दोनों (इजरायल-हमास) के बीच आपसी तनाव कम होगा और इससे नई राहें खुलेंगी। पाठकों को बताता चलूं कि हाल ही में इजरायल और हमास के बीच जो समझौता (डील) हुआ है, यह वही डील है, जिसकी पेशकश जो बाइडेन द्वारा पिछले साल यानी कि मई 2024 में की गई थी और जिसे इस्राइल व हमास दोनों ने ही अस्वीकार कर दिया था। कहना ग़लत नहीं होगा कि अब डोनाल्ड ट्रम्प ने दोनों देशों के युद्ध में सीधा हस्तक्षेप किया है। पाठकों को बताता चलूं कि ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि ‘अगर 20 जनवरी को उनके कार्यभार संभालने तक गाजा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए इजरायली बंधकों को आजाद नहीं किया गया तो मिडिल ईस्ट में ‘भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।’ यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हमास द्वारा इजराइल पर हमले के बाद जवाबी कार्रवाई के लिए उसको जवाबदेह ठहराने में बाइडेन प्रशासन विफल रहा था और कहना ग़लत नहीं होगा कि अमेरिका इस मुद्दे पर नेतृत्वहीन लग रहा था। यहां तक कि बाइडेन प्रशासन पर इसको लेकर नरसंहार का आरोप भी लगा। सच तो यह है युद्ध को खत्म कराने की उनकी कोशिश भी कामयाब नहीं हो पा रही थी, और युद्ध ईरान तक पहुंच गया था, लेकिन अब जबकि डोनाल्ड ट्रम्प की ताजपोशी 20 जनवरी को होने जा रही है,दोनों ही पक्षों पर समझौते को स्वीकारने का स्वाभाविक दबाव समझा जा सकता है। हालांकि, दोनों देशों के बीच यह स्थाई शांति नहीं है बल्कि सीज फायर समझौता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज हमास खुद, ईरान व हिजबुल्ला के कमजोर पड़ने से, युद्ध और संघर्ष से निकलने का मार्ग लगातार ढूंढ रहा है। यह भी एक कटु सत्य है कि हमास इजरायल के बीच संबंध काफी जटिल रहे हैं और बंधकों की वापसी, फिलस्तीनी कैदियों की रिहाई, दोनों देशों के बीच स्थाई शांति का रास्ता अख्तियार करना इतना आसान काम नहीं है। देखा जाए तो यह एक हरक्यूलियन टास्क है।वास्तव में, यह सब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों पर विशेषतया निर्भर करेगा कि वे दोनों देशों को लेकर कैसी नीतियों को अपनाते हैं और क्या निर्णय लेते हैं। हालांकि, हाल फिलहाल हमास और इजरायल के बीच सीजफायर डील(युद्ध विराम समझौता) शान्ति, संयम और स्थिरता की दिशा में एक बड़ा ही सराहनीय व काबिले-तारीफ कदम है। निश्चित ही इससे दुनिया शान्ति के पथ पर अग्रसर होगी।

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