
रक्षा-राजनीति नेटवर्क
विंग कमांडर अक्षय सक्सेना (29020) को 17 जून, 2006 को भारतीय वायुसेना की उड़ान शाखा में पायलट के रूप में नियुक्त किया गया था और 01 फरवरी, 2021 से वह सी-17 स्क्वाड्रन की सेवा में तैनात हैं।
विंग कमांडर ने 16 मार्च, 2024 को अरब सागर में समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के उद्देश्य से ऑपरेशन संकल्प के अंतर्गत एक मिशन को अंजाम दिया था। उन्होंने समुद्री डाकुओं के नियंत्रण वाले एक ऐसे जहाज को पकड़ने के लिए दो कॉम्बैट रबराइज्ड रेडिंग क्राफ्ट (सीआरआरसी) नौकाओं तथा लड़ाकू क्षमता के साथ 18 मार्कोस की एक टीम को उतारा था, जो न केवल अरब सागर में व्यापारिक जहाजों पर हमले कर रहा था बल्कि उसने आईएनएस कोलकाता पर भी गोलीबारी की थी और 15 मार्च, 2024 को नौसेना के एक स्पॉटर ड्रोन को मार गिराया था। इस अभियान का लक्षित क्षेत्र मुंबई से 1450 नॉटिकल मील और भारतीय एफआईआर से 540 नॉटिकल मील दूर सोमालिया तट के पास था। कार्रवाई के दौरान समय की महत्ता व मिशन की गुप्त प्रकृति के कारण, उन्होंने उपयुक्त दल को अंतिम रूप दिया और त्वरित प्रक्षेपण के लिए विमान की तैयारी सुनिश्चित की।
मिशन में विस्तारित समयसीमा के अलावा समुद्री डाकुओं के साथ ही छोटे हथियारों के हमले का वास्तविक खतरा भी था, इसके अलावा मिशन में करीब चार घंटे तक अघोषित और अज्ञात रूप से दूसरे देश के हवाई क्षेत्र में उड़ान भरना भी प्रमुख परेशानियों में शामिल था। सी-17 विमान के कैप्टन के रूप में अधिकारी ने सभी एमीटर्स को बंद करने, विदेशी क्षेत्र में ऊंची समुद्री लहरों पर निचले स्तर की उड़ान भरने और नजर में आने से बचने के लिए शाम के समय उतरने का फैसला किया। उन्होंने ड्रॉप से केवल 50 नॉटिकल मील पहले बदले हुए ड्रॉप स्थान तक पहुंचने के बाद भी चालक दल को एक सटीक एयरड्रॉप को सुरक्षित रूप से पूरा करने के लिए निर्देशित किया, जिसके परिणामस्वरूप समुद्री लुटेरों को पकड़ लिया गया और 17 सदस्य चालक दल के साथ एमवी रुएन को बचाया गया। उन्होंने जमीन और हवा दोनों में स्थितिजन्य परिस्थितियों को बनाए रखते हुए भारतीय नौसेना के साथ प्रभावी अंतर-सेना समन्वय का प्रदर्शन किया। अधिकारी ने अत्यंत कठिन, मिशन के त्रुटिहीन निष्पादन के दौरान असाधारण साहस, गतिशील नेतृत्व, उत्कृष्ट व्यावसायिकता और स्थिर दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया।
अदम्य साहस और विशिष्ट वीरता के कार्य के लिए विंग कमांडर अक्षय सक्सेना को ‘वायु सेना पदक (वीरता)’ से सम्मानित किया गया है।