गिरिराज सिंह ने हथकरघा बुनकर ई-पहचान पोर्टल और हथकरघा पुरस्कारों के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल का शुभारंभ किया

Giriraj Singh launches handloom weaver e-identification portal and online module for handloom awards

  • हथकरघा क्षेत्र को परंपरा, नवीन डिजाइनों और रणनीतियों के साथ आधुनिकता का रूप देकर बाजार को लक्षित करना चाहिए: केंद्रीय कपड़ा मंत्री
  • श्री गिरिराज सिंह
  • केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने “हैंडलूम कॉन्क्लेव: मंथन” में सभी हितधारकों से पारंपरिक मानसिकता को बदलकर हथकरघा क्षेत्र को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने और नवीन तकनीकी समाधानों के माध्यम से हथकरघा बुनाई को सशक्त बनाने और वैश्विक बाजार में हथकरघा उत्पादों को ब्रांड के रूप में प्रदर्शित करने की अपील की
  • केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कपड़ा मंत्रालय प्रधानमंत्री मोदी के महिला सशक्तिकरण के दृष्टिकोण का एक आदर्श उदाहरण है क्योंकि मंत्रालय के सभी प्रमुख पदाधिकारी महिलाएं हैं और कपड़ा उद्योग में कार्यरत अधिकांश कारीगर/बुनकर भी महिलाएं हैं

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि उभरते ई-कॉमर्स बाजार को लक्षित करने के लिए हथकरघा उत्पादों की टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल प्रकृति, प्राकृतिक रंगाई, जैविक फाइबर के लाभ और हथकरघा उत्पादों के डिजाइन की विशिष्टता के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। वर्ष 2030 तक ई-कॉमर्स के 325 बिलियन डॉलर का बाजार बनने की उम्मीद है।

केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने संगठित/कॉरपोरेट क्षेत्र में कार्यरत कपड़ा उद्योग से हथकरघा बुनकरों के लिए सामाजिक सुरक्षा और उचित पारिश्रमिक सुनिश्चित करते हुए स्थायी आजीविका प्रदान करने के लिए एक मॉडल विकसित करने का भी आग्रह किया। कपड़ा मंत्रालय द्वारा कॉरपोरेट्स/उत्पादक कंपनियों/स्टार्ट-अप्स के लिए पुरस्कार शुरू किया जाएगा जो हथकरघा उद्योग के लिए ऐसा मॉडल तैयार करेगा और हथकरघा बुनकरों को साल में न्यूनतम 300 दिन का स्थायी रोजगार प्रदान करेगा।

केंद्रीय विदेश एवं कपड़ा राज्य मंत्री श्री पबित्र मार्गेरिटा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हथकरघा उत्पाद हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत के जीवंत प्रमाण हैं। उन्होंने हथकरघा उद्योग को एक जीवंत क्षेत्र के रूप में पुनर्जीवित करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला जो युवा पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए उचित आय प्रदान करता है।

कपड़ा मंत्रालय के सचिव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ‘कॉन्क्लेव-मंथन’ एक ‘चिंतन शिविर’ है जो विपणन अवसरों की उपलब्धता और हथकरघा बुनाई से युवाओं के पलायन के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिए हितधारकों के साथ “संवाद” स्थापित करने का मंत्रालय का एक प्रयास है। उन्होंने आधुनिक शिक्षा और पारंपरिक ज्ञान के बीच तालमेल बनाने पर भी बल दिया।

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