पिता ने जताई संगम स्नान की इच्छा तो कैलिफोर्निया से दौड़ी चली आईं बेटियां

When the father expressed his desire to take a bath in the Sangam, the daughters came running from California

  • महाकुम्भ में आ रहे श्रद्धालुओं की भावनात्मक कहानियां कर रहीं भाव विभोर
  • बेटी ने सोशल मीडिया पर शेयर की तस्वीर तो यूजर्स ने बढ़ाया हौसला
  • संगम के तट पर दिख रहा आस्था, भक्ति और सनातन संस्कृति का महासंगम

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

महाकुम्भ नगर : महा कुम्भ 2025 की दिव्यता और भव्यता शब्दों से परे है। इसकी आध्यात्मिक भव्यता से श्रद्धालु अभिभूत हैं। देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज के संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं और सनातन संस्कृति के इस शाश्वत स्वरूप में स्वयं को समर्पित कर रहे हैं। इसमें कई भावनात्मक पहलू भी देखने को मिल रहे हैं। इसका एक नजारा तब देखने को मिला जब अपने पिता की संगम स्नान की इच्छा को पूरा करने के लिए बेटियों ने अब्रॉड से इंडिया और फिर प्रयागराज तक का सफर किया।

पूरी की पिता की इच्छा
भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती की पावन गोद में स्नान के लिए महाकुम्भ की ओर खिंचे चले आ रहे हैं। संगम में स्नान कर श्रद्धालु स्वयं को धन्य मान रहे हैं और दिव्य अनुभूति से ओत-प्रोत हो रहे हैं। संगम स्नान करने आई एक श्रद्धालु ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर बताया, “मैंने और मेरी बहन ने अपने 85 वर्षीय पिता से उनके जन्मदिन पर उनकी इच्छा पूछी। उन्होंने कहा – ‘मेरे पास सब कुछ है, पर यदि पूछ रहे हो तो कुम्भ मेले में गंगा स्नान करना चाहता हूं।'” उनकी इस पवित्र इच्छा को पूरा करने के लिए दोनों बहनें कैलिफोर्निया से प्रयागराज पहुंचीं। पिता को संगम स्नान कराने के लिए उन्होंने काफी लंबी दूरी तय की, लेकिन इसके बावजूद पिता की इच्छा पूरी करने की खुशी ने उनकी पूरा थकान उतार दी। इच्छा पूरी होने पर पिता की खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं रहा।

प्राउड फादर
बेटियों के इस भक्ति भाव को देखकर लोग उनकी प्रशंसा करते नहीं थक रहे। एक यूजर ने लिखा, आपके पिता सच में भाग्यशाली हैं, जिनकी इतनी अद्भुत बेटियां हैं। आपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए आधी दुनिया का सफर तय कर लिया। सुरक्षित रहें, इस अद्भुत माहौल को आत्मसात करें और महाकुम्भ की दिव्यता आपको सही मार्ग दिखाए। एक अन्य यूजर ने लिखा, “उनकी सच्ची इच्छाओं को पूरा करने से बड़ा कोई सुख और आशीर्वाद नहीं हो सकता। मुझे भी यह सौभाग्य प्राप्त हुआ, जब मैंने अपने माता-पिता को काशी और अयोध्या की यात्रा कराई। एक विदेशी यूजर ने लिखा, भारतीय परिवार शानदार होते हैं। पश्चिमी देशों को “विकसित” और भारत को “विकासशील” कहा जाता है। मुझे लगता है, यह बिल्कुल उल्टा है।

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