महाकुम्भ में नागा संतों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए भरी हुंकार

Naga saints raised slogan for environmental protection in Maha Kumbh

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

महाकुम्भनगर : संगम की रेत पर नागा साधुओं ने एकजुट होकर पर्यावरण संरक्षण के लिए हुंकार भरी। इस ऐतिहासिक आयोजन में विभिन्न अखाड़ों के नागा साधुओं ने पारंपरिक पूजा-अर्चना के साथ नदी शुद्धिकरण का संकल्प लिया। नागा संन्यासियों को संबोधित करते हुए वाटर विमन शिप्रा पाठक ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर यदि आज हम नहीं जागे तो आने वाली पीढ़ियां महाकुम्भ के मोक्ष और पुण्य को तरस जाएंगी।

नागा साधुओं ने ली शपथ, हर व्यक्ति हर साल लगाएगा एक पौधा
कार्यक्रम के दौरान नागा साधुओं ने संकल्प लिया कि हर व्यक्ति हर वर्ष एक पौधा लगाएगा और उसका संरक्षण करेगा। इस पहल के जरिए देशभर में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया।

यज्ञ और मंत्रों से जागरूकता का संकल्प, भारत होगा हरा-भरा
अमृतेश्वर महादेव पीठाधीश्वर श्री सहदेवानंद गिरी जी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है, जब अध्यात्म और पर्यावरण एक साथ खड़े हैं। वहीं, दिगंबर शक्ति गिरी ने कहा कि इस पहल को पूरे भारत में फैलाया जाएगा। जिससे देश को हरा-भरा बनाया जा सके। महाकुम्भ में हुए इस अनोखे संगम ने यह सिद्ध कर दिया कि जब धर्म और पर्यावरण एक साथ आते हैं, तो एक नया जागरण जन्म लेता है।

नागाओं का दो टूक संदेश, नदियों का दोहन करने वालों को नहीं मिलेगी क्षमा
संतों ने कहा कि नागा साधु केवल तपस्वी नहीं, बल्कि राष्ट्र रक्षकों का इतिहास भी रखते हैं। जब-जब राष्ट्र पर आक्रमण हुआ, नागाओं ने तलवार उठाई है। अब समय आ गया है कि वे त्रिशूल, डमरू और तलवार के साथ यह संदेश दें कि नदियों के दोहन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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