पुनर्मिलन का संगम बना प्रयागराज महाकुम्भ, अपनों से मिलाए गये मेले में बिछड़े हुए 50 हजार से ज्यादा लोग

Prayagraj Mahakumbh became a confluence of reunification, more than 50 thousand people who were separated in the fair were reunited with their loved ones

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

प्रयागराज : महाकुम्भ 2025 अपने दिव्य ,भव्य और सुव्यवस्थित स्वरूप के साथ 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व उपस्थिति से ऐतिहासिक आयोजन बन गया। संगम के तट पर आयोजित प्रयागराज महाकुम्भ में 144 साल बाद बने पुण्य संयोग में देश दुनिया से श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ा। इस जन सैलाब के कारण कई लोग कुछ पलों के लिए अपनों से बिछड़ गए, लेकिन योगी सरकार की दूरदर्शिता और बिछड़ों को अपनों से मिलाने के लिए किए गए प्रयासों की मदद से महाकुम्भ के इस विराट मेले में कुल 54,357 लोगों को उनके परिवारों से मिलाने में सफलता मिली है। इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की रही। यही नहीं पुलिस द्वारा देश के विभिन्न राज्यों और नेपाल से आए श्रद्धालुओं का उनके परिवारों से सफलतापूर्वक पुनर्मिलन कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई।

पुनर्मिलन का साक्षी बना प्रयागराज महाकुम्भ
इस दिव्य आयोजन को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने कई अनुकरणीय पहल कीं, जो उपयोगी साबित हुईं। इस बार महाकुम्भ में खोए हुए लोगों को शीघ्रता से उनके परिवारों से मिलाने के लिए योगी सरकार ने डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की। महाकुम्भ में इनसे 35 हजार से श्रद्धालुओं को उनके परिजनों से मिलाने का कार्य किया गया। अमृत स्नान पर्व मकर संक्रांति पर्व (13, 14 और 15 जनवरी) को खोए हुए 598 श्रद्धालु, मौनी अमावस्या के दौरान (28, 29 और 30 जनवरी) 8725 लोगों और बसंत पंचमी (2, 3 और 4 फरवरी) को डिजिटल खोया-पाया केंद्र की मदद से 864 लोगों को उनके परिवारों से मिलवाया गया।

इसके अलावा अन्य स्नान पर्वों और सामान्य दिनों में खोए हुए 24,896 लोगों का भी उनके परिवारों के साथ पुनर्मिलन कराया गया। इस तरह महाकुम्भ के समापन पर 35,083 लोगों को उनके परिजनों से मिलाया गया।

निजी संस्थाओं ने भी किया पूरा सहयोग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर संपूर्ण महाकुम्भ क्षेत्र में 10 डिजिटल खोया-पाया केंद्र स्थापित किए गए। इनमें अगर अत्याधुनिक एआई आधारित चेहरा पहचान प्रणाली, मशीन लर्निंग और बहुभाषीय समर्थन जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं का संगम देखने को मिला तो वहीं गैर सरकारी सामाजिक संस्थाओं के प्रयास में मानवता और सेवा का अद्भुत मेल देखने को मिला। इनमें सबसे पुराना भारत सेवा केंद्र एवं हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति भी शामिल हैं। भारत सेवा केंद्र के भूले भटकों के शिविर के संचालक उमेश चंद्र तिवारी के मुताबिक, महाकुम्भ के समापन तक शिविर ने 19,274 बिछड़े महिला और पुरुष को अपनों से मिलाया। इसके अलावा कुम्भ मेले में बिछड़ गए सभी 18 बच्चों को भी उनके परिजनों से मिलाया गया। शिविर के माध्यम से न सिर्फ खोए हुए लोगों को खोजा गया, बल्कि उनके घरों तक पहुंचाने में भी मदद की गई।

समापन के आखिरी दिन तक होता रहा पुनर्मिलन
महाकुम्भ के आखिरी स्नान पर्व महा शिवरात्रि तक खोया पाया केंद्रों और भूले भटके शिविरों में मेले में बिछड़ गए लोगों को उनके अपनों से मिलाने की प्रक्रिया पूरी हो गई।

खोया पाया केंद्र विशेष रूप से कारगर रहे। उन्होंने न सिर्फ बिछड़े लोगों का परिजनों से मिलन कराया, बल्कि बिछड़े लोगों की ट्रैकिंग भी की और जब तक वो परिवार से मिल नहीं गए तब तक प्रक्रिया को रिपीट किया गया। मुजफ्फरपुर धरकरी बिहार के कपलेश्वर साहनी की सास कृष्णा देवी को केंद्र ने आखिरी दिन परिजनों से मिलाया। इसी तरह रायपुर छत्तीसगढ़ के बृजलाल चौहान की पत्नी की जंगी देवी भी अपने घर पहुंच गईं। नेपाल के बांके जिला जगजन्नन धारू के खोने की शिकायत उनके बेटे मनोज थारू ने लिखाई थी, लेकिन मनोज थारू का मोबाइल बंद मिला। इसी तरह सप्तरी नेपाल के सीताराम शाह ने पत्नी बिंदी के खो जाने की शिकायत दर्ज की थी, लेकिन सीताराम शाह ने जो मोबाइल नंबर शिकायत में दर्ज कराया वह गलत निकला। खोया पाया केंद्र की इस पहल से हर कोई संतुष्ट नजर आया और परिजनों के मिलने पर सभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताना नहीं भूले।

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