पर्यावरण संरक्षण: भावी पीढ़ियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण : डॉ. राजेश्वर सिंह

Environmental protection: Most important for future generations: Dr. Rajeshwar Singh

  • 2023 में जंगली आग ने दुनिया का 90 लाख हेक्टेयर वृक्ष आवरण नष्ट किया, 23 साल में देश का 16.5 लाख हेक्टेयर वृक्ष आवरण हुआ राख – डॉ. राजेश्वर सिंह
  • भारत में आग से होने वाली हानि को कम करने की रणनीतियां: जलवायु संरक्षण, तकनीक, और सहयोग
  • सरोजनीनगर में सतत विकास के लिए हरित पहल: वृक्षारोपण, सौर ऊर्जा, जल संरक्षण और इको फ्रेंडली अभियान
  • हरित विकास की राह पर सरोजनीनगर: निरंतर वृक्षारोपण, 50 MW सौर ऊर्जा का विकास, 25,000 से अधिक इको फ्रेंडली वितरित, तालाबों – झेलों के विकास से बढ़ रहा भूगर्भ जल स्तर
  • सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह की पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता
  • तेजी से बढ़ रही आग लगने की घटनाएं, डॉ. राजेश्वर सिंह ने साझा की हानियों को कम करने की रणनीति
  • आग लगने की घटनाएं मानवीय निर्णयों का प्रतिबिंब, दृढ़ इच्छाशक्ति से कम की जा सकती इनकी संभावना – डॉ. राजेश्वर सिंह
  • पर्यावरण संरक्षण और वनीकरण की महत्वपूर्ण पहल

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ : आग विश्व भर और भारत में भारी नुकसान का कारण बन रही है। सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने वृहस्पतिवार को पर्यावरण संरक्षण और आग से होने वाले नुकसानों के प्रभाव पर अपने विचार रखे। पर्यावरण के लिए हरित ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के प्रयासों पर बल देते हुए डॉ. सिंह ने अपनी विधान सभा क्षेत्र में कराये जा रहे कार्यों का उल्लेख भी किया।

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट कर विधायक ने लिखा आग विश्व भर और भारत में भारी नुकसान का कारण बन रही है। वैश्विक स्तर पर, 2023 में जंगल की आग ने 90 लाख हेक्टेयर वृक्ष आवरण को नष्ट किया, जबकि कुल आग से संबंधित हानि 1.19 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंची। आर्थिक रूप से, अमेरिका में जंगल की आग से सालाना 3.94 से 8.93 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है, जिसमें 2025 के लॉस एंजिल्स की आग से 2.50-2.75 लाख करोड़ रुपये की क्षति का अनुमान है।

विधायक ने आगे जोड़ा भारत में, 2001 से 2023 तक 16.5 लाख हेक्टेयर वृक्ष आवरण नष्ट हुआ, जिससे देश वैश्विक सूची में 45वें स्थान पर है। 2023-24 की गर्मियों में 2,03,544 फायर स्पॉट दर्ज किए गए, जो 2021-22 के 2,23,333 से कम हैं, फिर भी उत्तराखंड (21,033 घटनाएं), ओडिशा (20,973), और छत्तीसगढ़ (18,950) सबसे प्रभावित रहे। जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और मानवीय गतिविधियां इस संकट को बढ़ा रही हैं, जिससे मानव जीवन, पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।

आग से होने वाली हानि को कम करने की रणनीतियां : आग लगने से होने वाली घटनाओं के प्रभाव को कम करने की रणनीतियों पका उल्लेख करते हुए विधायक ने आगे जोड़ा आग को पूरी तरह समाप्त करना संभव नहीं, क्योंकि यह प्रकृति का हिस्सा है, लेकिन इसके प्रभाव को कम करना संभव है:

जलवायु संरक्षण: उत्सर्जन में कटौती और वृक्षारोपण से आग की तीव्रता घटाई जा सकती है।
रोकथाम: अपशिष्टों आदि के जलाने पर नियंत्रण, कृषि आग पर नियमन (भारत में 95% आग मानव-जनित), और वन संरक्षण।
तकनीक: बिजली ग्रिड का उन्नयन, एआई आधारित आग पहचान, और अग्नि-रोधी घर।
तैयारी: अग्निशमन क्षमता बढ़ाना, समुदायों को शिक्षित करना, और बीमा विस्तार।
सहयोग: वैश्विक और राष्ट्रीय डेटा (जैसे भारत का वन सर्वेक्षण) साझा कर बेहतर प्रबंधन।
पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण: सुरक्षित भविष्य की नींव

पर्यावरण संरक्षण के प्रभाव :
सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने पोस्ट में उत्तर प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को रेखांकित करते हुए लिखा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों में 210 करोड़ पौधे लगाए गए, जिससे राज्य में वन क्षेत्र 559.19 वर्ग किलोमीटर बढ़ा। राज्य के मुख्यमंत्री के संकल्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के अनुरूप सरोजनी नगर में वृक्षारोपण और हरित ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

सरोजनीनगर में सतत विकास के लिए हरित पहल : विधायक डॉ. सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर किये अपने पोस्ट में जानकारी देते हुए लिखा :
वृक्षारोपण: रुद्राक्ष वृक्षारोपण महा अभियान के तहत 200 रुद्राक्ष पौधे लगाए गए, जिससे जैव-विविधता समृद्ध हुई।
हरित ऊर्जा: करीब 50 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता विकसित की गई, साथ ही 1,000 से अधिक सौर स्ट्रीटलाइट और 125 से अधिक स्ट्रीट मास्ट लगाए गए।

इको फ्रेंडली अभियान: 25,000 से अधिक इको फ्रेंडली बैग छात्र- छात्राओं को वितरित किए गए, जिससे प्लास्टिक उपयोग कम हुआ।

जल संरक्षण: तीन तालाबों का विकास कर भूजल पुनर्भरण बढ़ाया गया। दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) कार्यरत हैं, दो निर्माणाधीन हैं। तीन झीलों का विकास हुआ, एक और झील के विकास का कार्य प्रक्रियाधीन है।

अंत में सरोजनीनगर विधायक ने लिखा ये समर्पित पहल पर्यावरण संरक्षण, वनीकरण और स्थिरता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को उजागर करती हैं, जो एक हरियाली भरे, स्वच्छ और अधिक फ्लेक्सिबल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती हैं।

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