
सुनील कुमार महला
कहते हैं कि जीवन-मरण ऊपर वाले (ईश्वर) के हाथ है। हाल ही में एक प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक में राजस्थान के कोटा से एक खबर पढ़ने को मिली। दरअसल, राजस्थान के पाली का रहने वाला एक छात्र नीट की तैयारी कर रहा था और चाय पीते-पीते ही इस कोचिंग छात्र की मौत हो गई। बताया जा रहा है और दो साल पहले ही इस छात्र का हार्ट का ऑपरेशन हुआ था।इस खबर ने इस लेखक को विचलित किया और यह आलेख लिख रहा हूं। यह पहली खबर नहीं है जब हमें अचानक से किसी की मृत्यु की खबरें मिलतीं हैं। आज सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर, यू-ट्यूब, इंटरनेट, मीडिया में ऐसी खबरें लगभग लगभग आए दिन पढ़ने को मिलतीं रहतीं हैं कि फलां फलां व्यक्ति डांस करते, गाड़ी चलाते वक्त, स्कूल में पढ़ाते वक्त, यहां तक योग व कोई एक्सरसाइज करते वक्त मौत का शिकार हो गया। आखिर ऐसा क्या है जो आजकल अचानक ऐसी खबरें हमें पढ़ने-सुनने को मिल रही हैं, क्या यह सूचना क्रांति के विकास के कारण है कि हमें आज तेजी से ऐसी खबरें मिल रही हैं, क्या पहले भी ऐसा होता था, लेकिन हमें ऐसी खबरों के बारे में पता ही नहीं चल पाता था, क्यों कि मीडिया, सूचना क्रांति इस कदर विकास के पायदानों पर नहीं थी।आज कोई ट्रेडमिल पर एक्सरसाइज करते हुए मृत्यु को प्राप्त हो रहा है तो कोई चक्कर खाकर कहीं गिर जा रहा है और मृत्यु को प्राप्त हो रहा है? आखिर इन सबके पीछे कारण क्या हैं ? क्या हम इसके लिए बढ़ते प्रदूषण, खान-पान या हमारी जीवनशैली को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं ? यह सब सोचनीय है। कारण चाहे भी जो भी रहें हों लेकिन इतना जरूर तय है कि हमारे खान-पान, जीवनशैली और प्रदूषण के स्तर में तो जरूर परिवर्तन आए हैं। हालांकि, जीवन मृत्यु तो उस परमपिता परमेश्वर के हाथ है, लेकिन हम थोड़ी एहतियात तो अपने स्वास्थ्य को लेकर बरत ही सकते हैं। विज्ञान और तकनीक ने निश्चित रूप से आज बहुत तरक्की की है और आज हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के दौर में जीवन जी रहे हैं लेकिन जीवन मृत्यु के रहस्य तो हमेशा रहस्य ही रहेंगे। बहरहाल, यह लेखक एक फेसबुक पोस्ट को पढ़ रहा था। यह फेसबुक पोस्ट कहीं न कहीं हमारे स्वास्थ्य की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करती है। मसलन, आज हमें अपनी जीवनशैली में कुछ चीजों की ओर ध्यान देना चाहिए। जैसे कि आज हमें अपने खान-पान की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। हमें अपने भोजन से विशेषकर नमक, चीनी, ब्लीच किया हुआ आटा, डेयरी उत्पाद,प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, जंक व फास्ट फूड आदि के उपयोग को कम करना चाहिए और बिल्कुल सादा भोजन करना चाहिए।हरी सब्जियाँ, दालें, फलियाँ,मेवे, कोल्ड-प्रेस्ड तेल (जैतून, नारियल, आदि) तथा फल आदि हमारे जरूरी आहार होने चाहिए। आज की जीवनशैली में हम हरदम भागम-भाग जिंदगी जीते हैं। न प्रकृति का सानिध्य और न ही अपनो संग हंसना-खेलना।वर्चुअल वर्ल्ड की दुनिया में हम रच-बस से चुके हैं। हम वास्तविक दुनिया से परे हैं। आज प्रतिस्पर्धा का दौर है, हर तरफ कड़ी प्रतिस्पर्धा है, हम धन की ओर, पदार्थ की ओर निरंतर भाग रहे हैं, न हमारे पास स्वयं के लिए ही समय बचा है और न ही दूसरों के लिए। आज हम मुस्कुराते भी हैं तो हमारी मुस्कुराहट ऊपरी होती है। हम मुस्कुराहट का दिखावा सा करते नजर आते हैं। हम भीतर से, अपने अंतर्मन से कभी नहीं मुस्कुराते। हम खुश हो सकें, हमेशा दिल खोलकर बात कर सकें, हमारा मन हमारी आत्मा संकुचित न हो, हम सभी प्रेम और प्यार से रह सकें, हममें हमेशा खुशी की चमक-दमक हो। सच तो यह है कि हमारी मुस्कराहट ऊपर की बिल्कुल भी न हो, यह भीतर से आनी चाहिए। ऊपर से तो हम अक्सर मुस्कराते ही हैं, खुशी का आविर्भाव हमेशा आंतरिक होना चाहिए। हमें अपने जीवन में तीन चीजें भूलने की कोशिश करनी चाहिए। मसलन, हमारी उम्र, हमारा अतीत और हमारी शिकायतें। हमारे में जिजीविषा का गुण होना चाहिए। जिजीविषा मतलब जीवन जीने के प्रति ललक, उत्साह।जीने की प्रबल और सकारात्मक इच्छा ही जिजीविषा है। आज हम तनाव और अवसाद में, नकारात्मक विचारों में खोये खोये से रहते हैं। न जाने किस बात की चिंता हमें होती है ? जिजीविषा जीवन के प्रति हमारे गहरे जुनून, चुनौतियों के बावजूद जीने की तीव्र इच्छा को दर्शाती है।इस संदर्भ में हम जापानी लोगों से सीख सकते हैं। वास्तव में जापानी लोगों की लंबी उम्र का रहस्य उनकी सक्रिय जीवनशैली, स्वस्थ आहार, और समुदाय के प्रति जुड़ाव में है। वे लोग अपने दैनिक जीवन में शारीरिक गतिविधियों को शामिल करते हैं-जैसे, पैदल चलना, साइकिल चलाना, और पारंपरिक नृत्य वगैरह-वगैरह। उपलब्ध जानकारी के अनुसार जापानी लोग अपनी डाइट में सी फ़ूड, सोयाबीन, और ग्रीन टी को शामिल करते हैं। सी फ़ूड में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।सोयाबीन में पोषक तत्व होते हैं, जो कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं। ग्रीन टी में भी कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। इतना ही नहीं, हमें अपने जीवन में कुछ ज़रूरी चीजों को संजोकर रखना चाहिए। मसलन, अपना परिवार, अपने मित्र, अपने सकारात्मक विचार और स्वच्छ और सुखद घर। संस्कृत में मित्रों के बारे में क्या खूब कहा गया है-‘पापान्निवारयति योजयते हिताय, गुह्यं निगूहति गुणान प्रकटीकरोति, आपद्गतं च न जहाति ददाति काले, सन्मित्रंलक्षणमिदं प्रवदन्ति विज्ञान:।’ यह ठीक है कि जीवन-मरण तो ऊपर वाले के हाथ हैं, लेकिन हमें अपने जीवन में तीन आदतें जरूर अपनानी चाहिए। मसलन, हमें हमेशा खुलकर मुस्कुराना/ हँसना चाहिए। हमें अपनी गति से नियमित शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए। टहलना चाहिए। अपने वजन को नियंत्रित रखना चाहिए। प्रकृति के सानिध्य में जीवन बिताने का प्रयास करना चाहिए। खुला आसमान, बहते झरने, कल-कल करती नदियां, पक्षियों की कलरव, प्राकृतिक हरितिमा हमें अभूतपूर्व खुशियां प्रदान करतीं हैं। इतना ही नहीं, हमें छह आवश्यक जीवनशैली आदतों को भी अपनाना चाहिए। मसलन, प्यास लगने का इंतजार नहीं करना चाहिए, और पानी पीते रहना चाहिए। विज्ञान भी यह बात मानता है कि एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में पानी का प्रतिशत करीब 60% होता है, इसलिए हाइड्रेटेड रहना बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है। अक्सर हम थकान होने का इंतजार करते हैं, और समय पर आराम नहीं करते हैं। आराम बहुत आवश्यक है। कम से छह से आठ घंटे की नींद स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है। नियमित चिकित्सा जांच भी जरूरी है। हमें यह चाहिए कि हम चमत्कार की प्रतीक्षा न करें, लेकिन ईश्वर पर विश्वास रखें, क्यों कि इस सृष्टि को कोई न कोई शक्ति ही चलायमान रखें हुए है। हमें यह चाहिए कि हम कभी भी किन्हीं भी परिस्थितियों में खुद पर विश्वास कभी न खोएँ। जीवन फूलों की सेज नहीं है, यहां हर पल संघर्ष हैं, परेशानियां हैं, दिक्कतें हैं, लेकिन संघर्ष ही तो असली जीवन है। अंत में यही कहूंगा कि हम जीवन में हरदम,हरपल सकारात्मक रहें और हमेशा बेहतर भविष्य की आशा रखें। सफल, स्वस्थ व अच्छे जीवन का यही मूलमंत्र है।