
रक्षा-राजनीति नेटवर्क
लखनऊ : सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह के आशियाना स्थित आवास पर रविवार को “एक राष्ट्र, एक चुनाव” के विषय पर एक विचारोत्तेजक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में भारत की चुनावी प्रणाली में सुधार के लिए प्रस्तावित “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की अवधारणा पर गहन चर्चा हुई। गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह के साथ-साथ भाजपा जिलाध्यक्ष विजय मौर्या और महनगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी में हजारों की संख्या में भाजपा पदाधिकारी, कार्यकर्ता और स्थानीय जनता मौजूद रही।
सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि आजादी के बाद अब तक 400 बार चुनाव हो चुके हैं। “एक राष्ट्र, एक चुनाव” का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करना है, ताकि मतदाता एक ही दिन में केंद्र और राज्य सरकार के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। बड़े देश होने के कारण यह प्रक्रिया कई चरणों में हो सकती है। इसका लक्ष्य चुनावी खर्च को कम करना, प्रशासनिक व्यवधानों को समाप्त करना और शासन में निरंतरता लाना है।
लगातार चुनाव से सरकार की निरंतरता में कमी आती है –
सरोजनीनगर विधायक ने एक राष्ट्र, एक चुनाव को एक महत्वपूर्ण विषय बताते हुए कहा कि बार बार चुनाव होने से बार बार बहुत अधिक धन का व्यय होता है। चुनावों में जनता की कमाई का कीमती धन अनावश्यक रूप से खर्च किया जान ठीक नहीं है। विधायक ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष नहीं चाहता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी पूरी तरह केन्द्रित होकर गुड पर ध्यान केन्द्रित करें, क्योकि बार बार चुनाव होने से सरकार की निरंतरता में कमी आती है।
उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें –
विधायक ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने 191 दिनों की व्यापक शोध के बाद मार्च 2024 में 18,626 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी। इस समिति में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, और चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी शामिल थे। विशेष आमंत्रित सदस्यों में कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और डॉ. नितेन चंद्र भी थे। समिति ने 47 राजनीतिक दलों और 21,500 से अधिक नागरिकों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर अपनी सिफारिशें तैयार कीं, जिनमें 32 दल और 80% जनता ने एक साथ चुनाव का समर्थन किया।
विधायी प्रगति –
डॉ. सिंह ने इस विधयेक की विधायी प्रगति से अवगत कराते हुए कहा कि 18 सितंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया। 12 दिसंबर 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी। 17 दिसंबर 2024 को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे लोकसभा में पेश किया, जहाँ यह 269 के मुकाबले 198 मतों से पारित हुआ। गृहमंत्री अमित शाह और कानून मंत्री मेघवाल ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने का समर्थन किया। 20 दिसंबर 2024 को राज्यसभा में 12 सदस्यों को जेपीसी के लिए नामित करने का प्रस्ताव पारित हुआ, और विधेयकों को 39 सदस्यीय जेपीसी को सौंपा गया। जेपीसी ने अब तक दो बैठकें (8 जनवरी और 31 जनवरी 2025) आयोजित की हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, चुनाव आयोग, राजनीतिक दलों, और अन्य हितधारकों से सुझाव लेने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग –
डॉ. सिंह ने बताया कि 1951 से 1967 तक भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ आयोजित होते थे। 1951-52, 1957, 1962, और 1967 के चुनावों में यह परंपरा कायम रही। हालांकि, 1968-69 में कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने और 1970 में चौथी लोकसभा के समयपूर्व विघटन ने इस चक्र को तोड़ा। आपातकाल (1975-77) और बाद में कई लोकसभाओं और विधानसभाओं के समयपूर्व विघटन ने एक साथ चुनाव की प्रथा को बाधित किया। डॉ. सिंह ने गोष्ठी में कांग्रेस द्वारा अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग पर प्रकाश डाला, जिसके तहत विभिन्न कांग्रेस सरकारों ने 90 राज्य सरकारों को भंग किया। इस दुरुपयोग ने एक साथ चुनाव के चक्र को बाधित किया और देश में अलग-अलग समय पर चुनावों की प्रथा को बढ़ावा दिया।
17 करोड़ जनसँख्या पर लागू थी यह व्यवस्था, फिर 100 करोड़ पर क्यों नहीं ?
विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने सवाल भरे लहजे में आपनी बात आगे बढाते हुए कहा जब देश में पहला चुनाव हुआ तब मात्र 17 करोड़ मतदाता थे तब यह व्यवस्था लागू थी लेकिन देश की जनसँख्या 100 करोड़ पहुँचने पर 15 राजनीतिक दल एक देश – एक चुनाव का विरोध कर रहे हैं। अगर व्यवस्था हमेशा चुनाव संपन्न कराने में लगी रहेगी तब जन कल्याण किस तरह बाधित होगा। विपक्ष को जातिवादी की राजनीति, तुष्टिकरण की राजनीति करनी है, क्षेत्रवाद और भाषा वाद की राजनीति करनी है इस लिए इस व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं।
एक राष्ट्र, एक चुनाव के लाभ –
शासन में निरंतरता: बार-बार चुनावों से शासन और विकास कार्यों में व्यवधान होता है। एक साथ चुनाव से सरकारें विकास और कल्याणकारी नीतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी। नीतिगत निर्णयों में तेजी: आदर्श आचार संहिता के लंबे समय तक लागू रहने से नीतिगत निर्णयों में देरी होती है, जिसे एक साथ चुनाव से कम किया जा सकता है। संसाधनों का कुशल उपयोग: बार-बार होने वाली कर्मचारी तैनाती और सुरक्षा व्यवस्था की लागत कम होगी। क्षेत्रीय दलों को प्रोत्साहन: स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित क्षेत्रीय दल अपनी प्रासंगिकता बनाए रख सकेंगे। राजनीतिक अवसरों में वृद्धि: एक साथ चुनाव से नए नेताओं को उभरने का अवसर मिलेगा।
वित्तीय बोझ में कमी: एक साथ चुनाव से मानव-शक्ति, उपकरण, और सुरक्षा संसाधनों की लागत में कमी आएगी।
जवाबदेही में वृद्धि: पाँच वर्ष में एक बार मतदाताओं के सामने आने से राजनेताओं की जवाबदेही बढ़ेगी।
संवैधानिक और कानूनी आवश्यकताएँ –
समिति ने अनुच्छेद 82ए, 324ए, 83, 85, 172, 174, और 327 में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। अनुच्छेद 82 में नया प्रावधान जोड़ा जाएगा, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा “नियत तारीख” (अपॉइंटेड डेट) तय की जाएगी, जिससे लोकसभा और विधानसभाओं का कार्यकाल संरेखित होगा। समयपूर्व विघटन की स्थिति में केवल बचे हुए कार्यकाल के लिए चुनाव होंगे। संविधान संशोधन के लिए लोकसभा में 362 सांसदों का समर्थन और कम से कम 50% राज्यों का अनुसमर्थन आवश्यक है। इस महत्वपूर्ण विधेयक को पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता है। विधायक ने अगले चुनाव में जनता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मजबूत भाजपा सरकार बनाने के लिए आह्वान किया।
बंगाल में हिन्दुओं की स्थित पर जताई चिंता –
सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने पश्चिम बंगाल में संविधान संशोधन के विरोध में भड़की हिंसा के दौरान हिन्दुओं को निशाना बनाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक राष्ट्र एक चुनाव को महत्वपूर्ण बताया। विधायक ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिन्दुओं और महिलाओं की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त करते हुए लोकतंत्र को मजबूत बनाने पर जोर दिया।
जिलाध्यक्ष विजय मौर्या का संबोधन –
लखनऊ भाजपा जिलाध्यक्ष विजय मौर्या ने बताया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश की बागडोर सम्हाल रहे हैं, वे लगातार देश हित में कानून बना रहे हैं लेकिन इस संसोधन को जनता के बीच ले जाने के बीच उनका उद्देश जनता को कांग्रेस की मंशा से अवगत कराना है जिसमें देश में आपतकाल थोप कर, राज्य विधानसभाओं को भंग कर चुनाव समय में अंतर लाया गया है।
भाजपा नेता अभिषेक खरे का संबोधन –
अभिषेक खरे ने बताया इस गोष्ठी का शुभारम्भ सरोजनीनगर से हो रहा है,उन्होंने बताया लगातार चुनाव होने से जनता के उत्साह में कमी आती है, एक बार चुनाव होने से साढ़े चार लाख करोड़ से जनता को विकास योजनाओं का लाभ मिलेगा। विपक्ष की मंशा पर ऊँगली उठाते हुए अभिषेक खरे ने कहा की विपक्ष ने जनता को भ्रमित करने के लिए हर बार एक छोटी सी किताब किसके पृष्ठ पर संविधान लिखा है, उसे दिखाया जाता है। इस लिए आवशयक है इस विषय को जनता के बीच ले जाया जाए, और जनता को भ्रमित न होने दिया जाए।
डॉ. राजेश्वर सिंह ने बताया 200 से बार भारत पर विदेशी आक्रान्ताओं ने हमला किया, भारत को लूटा लेकिन हर बार भारत उठ खड़ा हुआ। विधायक ने कहा आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व देश आज पांचवी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था है। देश का गोल्ड रिजर्व अपने शीर्ष पर है, इसे आगे लेकर जाना है। इस महत्वपूर्ण विधेयक को दो-तिहाई बहुमत के साथ पारित करने के लिए अगले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को प्रचंड जीत दिलाने की अपील की, ताकि यह सुधार शीघ्र लागू हो सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह न केवल शासन को सशक्त करेगा, बल्कि भारत को एकजुट और समृद्ध बनाएगा।
गोष्ठी के दौरान महानगर भाजपा पधाधिकारी अभिषेक खरेजी, कर्नल दया शंकर दुबे, भुवनेंद्र सिंह ‘मुन्ना’, वी.के. मिश्रा, शिव शंकर सिंह ‘शंकरी’, नानक चंद लखमानी, मंडल अध्यक्ष शिव शंकर विश्वकर्मा, के.के. श्रीवास्तव, शिव बक्श सिंह, विवेक राजपूत, मोहित तिवारी, पार्षद कौशलेन्द्र द्विवेदी, राम नरेश रावत, संजीव अवस्थी, के. एन. सिंह, मनोज रावत, बृज मोहन शर्मा, कृपा शंकर शुक्ला एवं अन्य भाजपा नेता मौजूद रहे।