योगी सरकार ने मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने को तैयार की चेनलिंक और सोलर फेंसिग

Yogi government prepared chain link and solar fencing to prevent human-wildlife conflict

  • यूपी के वन क्षेत्रों में पिछले दो वर्षों में हुई है लगभग 231 किलोमीटर चेनलिंक फेंसिग
  • बाघ मित्र कर रहे वन्य जीव संरक्षण के प्रति स्थानीय समुदाय को जागरूक
  • वन्य जीव संरक्षण के साथ आजीविका का माध्यम भी बन रहे हैं बाघ मित्र
  • राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि से खरीदे गये हैं आधुनिक ट्रैकिंग उपकरण
  • अत्याधुनिक तकनीकी और उपकरणों की मदद से की जा रही है वन क्षेत्रों की नियमित ट्रैकिंग

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में वन एवं वन्यजीव विभाग ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए व्यापक और प्रभावी कदम उठाए हैं। इन प्रयासों में विशेष रूप से वर्ष 2023-24 से लेकर 2024-25 में लगभग 231 किलोमीटर चेन लिंक फेंसिग और लगभग 41 किलोमीटर सोलर फेंसिग के कार्य किये गये हैं। जिसस न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है, साथ ही वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले ग्रामीणों और उनके पालतू जानवरों को भी सुरक्षा प्रदान की जा रही है। साथ ही विभाग द्वारा प्रशिक्षित किये गये बाघ मित्र, मानव वन्य जीव संघर्ष कम करने में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही ट्रैकिंग डिवाइस, ड्रोन कैमरे, जीपीएस जैसी आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर वन क्षेत्रों की निगरानी और पेट्रोलिंग का कार्य भी मानव एवं वन्य जीव संघर्ष को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

वन क्षेत्रों की बड़े पैमाने पर हुई चेनलिंक और सोलर फेंसिग
वन एवं वन्य जीव विभाग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के अनुरूप वन्य जीव संरक्षण के साथ वन क्षेत्रों के समीप रहने वाले ग्रामीणों के जीवन और आजीविका को सुरक्षित करने के उद्देश्य से कई नवाचार अपनाये हैं। जिसमें से सबसे प्रभावी कदम प्रदेश के वन क्षेत्रों के चारों ओर बड़े पैमाने पर चेनलिंक फेंसिग का निर्माण है।

इस क्रम में वर्ष 2023-24 में लगभग 125 किलोमीटर चेनलिंक फेंसिंग और 21 किलोमीटर सोलर फेंसिंग का निर्माण किया गया, जबकि 2024-25 में 106 किलोमीटर चेनलिंक फेंसिंग और 20 किलोमीटर सोलर फेंसिंग स्थापित की गई। ये फेंसिंग वन्यजीवों को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश करने से रोकने में कारगर सिद्ध हो रही हैं, जिससे फसलों और मानव जीवन को होने वाले नुकसान में कमी आई है। साथ ही इस फेंसिग से ग्रामीण पालतू पशुओं के वन क्षेत्रों में प्रवेश और उनको शिकार से बचाने के लिए होने वाले मानव वन्य जीव संघर्ष में भी उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।

बाघ मित्रों ने वन्य जीव संरक्षण के प्रति किया लोगों को जागरूक
मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन एवं वन्य जीव विभाग का प्रभावी कदम ‘बाघ मित्र’ का चयन और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना साबित हुआ है। ये बाघ मित्र स्थानीय ग्रामीणों को जागरूक करने और वन्यजीवों के साथ सुरक्षित सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इनके माध्यम से ग्रामवासियों के साथ नियमित बैठकें और संवाद आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें वन्यजीवों से बचाव के उपाय, उनकी गतिविधियों की जानकारी और आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई जैसे विषय शामिल हैं।

बाघ मित्रों का चयन विशेष रूप से टाइगर रिजर्व के निकटवर्ती ग्रामों के लिये किया गया है, इसके साथ ही इटावा के लायन सफारी के लिए भी बाघ मित्रों का चयन किया गया है। यह पहल न केवल जागरूकता बढ़ाने का काम रही है, साथ ही स्थानीय समुदायों और वन एवं वन्य जीव विभाग के बीच विश्वास बढ़ाने का कार्य भी कर रही है।

आधुनिक तकनीक और उपकरणों से की जा रही है ट्रैकिंग
प्रदेश के वन प्रभागों में मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकथाम के लिए राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि से प्राप्त धनराशि का उपयोग विभिन्न उपकरणों की खरीद में किया गया है। इन उपकरणों में निगरानी उपकरण, ट्रैकिंग डिवाइस और अन्य तकनीकी संसाधन शामिल हैं, जो वन्यजीवों की गतिविधियों पर नजर रखने में सहायक हैं। इसके अतिरिक्त, वन क्षेत्रों और सीमावर्ती इलाकों में सघन गश्त की जा रही है, ताकि वन्य जीवों के मानव बस्तियों में प्रवेश को रोका जा सके। वन क्षेत्र के बाहर विचरण करने वाले वन्यजीवों की नियमित ट्रैकिंग के लिए आधुनिक तकनीकों ड्रोन, जीपीएस ट्रैकिंग और कैमरा ट्रैप का उपयोग किया जा रहा है।

इस ट्रैकिंग के माध्यम से न केवल वन्यजीवों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है, बल्कि आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई में भी की जाती है। वन एवं वन्य जीव विभाग के इन कदमों से न केवल जैव-विविधता संरक्षित हो रही है, बल्कि ग्रामीण समुदायों को सुरक्षा और आजीविका भी मिल रही है।

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