किसानों की आय बढ़ाने और पशुपालन को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम, यूपी सरकार और एनडीडीबी के बीच एमओयू हस्ताक्षरित

A big step towards increasing farmers' income and empowering animal husbandry, MoU signed between UP government and NDDB

  • कानपुर, गोरखपुर, कन्नौज के डेयरी प्लांट और अम्बेडकरनगर की पशु आहार निर्माणशाला का संचालन एनडीडीबी को सौंपा गया
  • मुख्यमंत्री योगी बोले, ‘प्रदेश का दुग्ध क्षेत्र हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मेरुदंड बनेगा’, एनडीडीबी के साथ रणनीतिक साझेदारी
  • बिना अतिरिक्त सरकारी खर्च के, किसानों को मिलेगा लाभ, युवाओं को रोजगार: सीएम योगी आदित्यनाथ
  • तकनीकी दक्षता, पारदर्शिता और जनभागीदारी से दुग्ध उद्योग में नया युग शुरू करेगा उत्तर प्रदेश: मुख्यमंत्री
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में डेयरी सेक्टर में क्रांतिकारी पहल, एनडीडीबी को सौंपी गई 4 प्रमुख इकाइयों की कमान
  • सभी 04 इकाइयों को लाभकारी प्लांट के रूप में विकसित करेगी एनडीडीबी: मीनेश शाह
  • दुग्ध विकास में महिला सशक्तिकरण को मिला नया आयाम: मुख्यमंत्री योगी
  • पूर्ववर्ती सरकारों की उपेक्षा से उपजा पशुधन संकट, 2014 के बाद आया नवाचारों का दौर: मुख्यमंत्री

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के दुग्ध क्षेत्र को आत्मनिर्भर, तकनीकी रूप से सशक्त और किसानों के लिए लाभकारी बनाने की दिशा में बुधवार का दिन बेहद महत्वपूर्ण रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गरिमामयी उपस्थिति में राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन (पीसीडीएफ) द्वारा संचालित तीन डेयरी प्लांट (कानपुर, गोरखपुर और कन्नौज) तथा अम्बेडकरनगर स्थित एक पशुआहार निर्माणशाला के संचालन हेतु राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान संपन्न हुआ। एनडीडीबी को संचालन सौंपे जाने से इन इकाइयों में तकनीकी दक्षता, पारदर्शिता और व्यावसायिकता के नए मानक स्थापित होंगे, साथ ही प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों को समयबद्ध भुगतान, बेहतर मूल्य और स्थायी विपणन की सुविधा प्राप्त होगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादकों की आय बढ़ाने, पशुधन आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त उत्पाद उपलब्ध कराने हेतु पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि एनडीडीबी जैसे दक्ष एवं अनुभवी संस्थान को संचालन सौंपे जाने से इन इकाइयों में तकनीकी कुशलता, व्यावसायिक पारदर्शिता और किसानों को प्रत्यक्ष लाभ सुनिश्चित होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रदेश की पशुधन संपदा और दुग्ध उत्पादन की विशाल क्षमता को यदि नियोजित और वैज्ञानिक तरीके से विकसित किया जाए, तो उत्तर प्रदेश न केवल देश का अग्रणी दुग्ध उत्पादक राज्य बन सकता है, बल्कि वैश्विक डेयरी मानचित्र पर भी अपनी अलग पहचान स्थापित कर सकता है। एनडीडीबी के साथ यह एमओयू उसी दिशा में एक ठोस, दूरदर्शी और व्यवहारिक कदम है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुग्ध विकास के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण को नया आयाम मिला है। झांसी की बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी सहित आगरा व गोरखपुर आदि जनपदों में दुग्ध विकास में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने इसमें सहयोग के लिए एनडीडीबी की भूमिका की सराहना भी की। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि और पशुपालन सेक्टर की अपार संभावनाओं के बावजूद, पूर्ववर्ती सरकारों की उदासीनता और नीति विहीनता के कारण यह क्षेत्र उपेक्षित रहा, जिससे पशुपालकों के भीतर निराशा घर कर गई थी और प्रदेश का बहुमूल्य पशुधन भी धीरे-धीरे कम होता गया। पूर्व की सरकारों में न इच्छाशक्ति थी, न ही दूरदृष्टि। किंतु वर्ष 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में क्रांतिकारी नवाचार हुए, जिनके परिणामस्वरूप यह क्षेत्र आज युवाओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रहा है और रोजगार के नये अवसर सृजित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पीसीडीएफ को एनडीडीबी की ‘बेस्ट प्रैक्टिसेज़’ को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यह साझेदारी दुग्ध क्षेत्र को नई दिशा देने में सहायक सिद्ध होगी।

विशेष अवसर पर उपस्थित, एनडीडीबी के चेयरमैन मीनेश शाह ने नोएडा में संपन्न वर्ल्ड डेयरी समिट, 2022 के आयोजन में मुख्यमंत्री की ओर से प्राप्त सहयोग के प्रति आभार जताया और उत्तर प्रदेश में एनडीडीबी द्वारा संचालित विभिन्न दुग्ध विकास परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने विश्वास दिलाया कि उत्तर प्रदेश के जिन तीन डेयरी प्लांट और एक पशु आहार निर्माणशाला के संचालन की जिम्मेदारी एनडीडीबी को सौंपी गई है, वे आने वाले वर्षों में प्रदेश के सबसे लाभकारी और मॉडल इकाइयों के रूप में स्थापित होंगे।

प्रमुख सचिव, दुग्ध विकास विभाग ने बताया कि कानपुर स्थित डेयरी प्लांट ₹160.84 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है, जिसकी प्रसंस्करण क्षमता 4 लाख लीटर प्रतिदिन है। इसी प्रकार, गोरखपुर डेयरी प्लांट ₹61.80 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है, जो प्रतिदिन 1 लाख लीटर दूध प्रसंस्करण की क्षमता रखता है। कन्नौज प्लांट ₹88.05 करोड़ की लागत से स्थापित हुआ है, जिसकी क्षमता भी 1 लाख लीटर प्रतिदिन है। इन तीनों प्लांटों का निर्माण पूर्ण होने के बावजूद वाणिज्यिक बायर्स के अभाव तथा परिचालन लागत की चुनौतियों के कारण पूर्व में संचालन में बड़ी बाधाएं उत्पन्न हुई थीं। अब इनका संचालन एनडीडीबी के माध्यम से किए जाने से यह इकाइयाँ पुनः पूर्ण क्षमता से कार्य करने लगेंगी।

इसी प्रकार, अम्बेडकरनगर स्थित केंद्र पशु आहार निर्माणशाला भी इस समझौते के अंतर्गत एनडीडीबी को हस्तांतरित की जाएगी। ₹18.44 करोड़ की लागत से निर्मित यह इकाई 100 मीट्रिक टन प्रतिदिन बायपैक प्रोटीन फीड का उत्पादन कर रही है, जिससे प्रदेश के पशुपालकों को संतुलित एवं सुलभ आहार उपलब्ध हो रहा है। चालू वित्तीय वर्ष में इस इकाई से ₹66.88 लाख का लाभ अर्जित होने की संभावना है।

एनडीडीबी को इन इकाइयों के संचालन सौंपे जाने से इनमें किसानों को समयबद्ध भुगतान, स्थानीय सहकारी समितियों की भागीदारी, संसाधनों का योजनाबद्ध उपयोग, उपकरणों की सुरक्षा तथा अनावश्यक व्यय में कटौती जैसे महत्वपूर्ण लाभ सुनिश्चित होंगे। इसके अतिरिक्त, युवाओं के लिए नए रोजगार सृजित होंगे और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता तथा उपलब्धता में भी सुधार आएगा। उल्लेखनीय है कि इस मॉडल के अंतर्गत राज्य सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा और राजस्व साझेदारी का लाभ भी राज्य एवं किसानों को समान रूप से मिलेगा।

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