गहरा राजनीतिक महत्व है महाकुंभ का

Mahakumbh has deep political significance

विजय गर्ग

स्मार्ट विश्वविद्यालय ने महाकुंभ विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया था, इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध इस प्रकार है :-

कुंभ का मतलब घड़ा होता है, घड़े का भारतीय राजनीति, धर्म और दर्शन में गहरा महत्व है।

राजनीति में घड़े का महत्व यह है कि उन नेताओं का आदर्श माना जाता है, जो चिकने घड़े की तरह हों, यानी जिनके ऊपर पानी ठहरता ही न हो।

महाकुंभ का भी गहरा राजनीतिक महत्व है। तमाम तरह के नेता तमाम तरह के बयान रोज देते हैं महाकुंभ पर। महाकुंभ निपट जायेगा, इसके बाद तमाम नेताओं को बेवकूफाना बयान देने के लिए नये विषय तलाशने पड़ेंगे।

महाकुंभ के कारण प्रयागराज के अंदर और प्रयागराज के बाहर लंबे-लंबे जाम लग लिये हैं। इतने लंबे-लंबे जाम कि छोटे नन्हे देशों में भारतीय राजदूत इन छोटे नन्हे देशों के प्रधानमंत्री के सामने तड़ी लगा सकते हैं कि जितना क्षेत्रफल आपके पूरे देश का है, उतने क्षेत्रफल में हमारे महाकुंभ के जाम लगते हैं। या यह गर्वोक्ति भी भारतीय कर सकते हैं कि जितनी पॉपुलेशन सिंगापुर या न्यूजीलैंड की है, उस पॉपुलेशन की सौ गुना पॉपुलेशन तो कुंभ में स्नान कर चुकी है।

कई-कई दिनों तक जाम में फंसकर भारतीय पब्लिक जान बचा सकती है, यह देखकर अमेरिकन सरकार अपने कमांडो लोगों को ट्रेनिंग देने के लिए प्रयागराज भेजने की तैयारी कर सकती है। भारत की पब्लिक इस तरह के हालात में भी बखूबी जीवित रह सकती है, यह बात कई यूरोपीय देशों की पब्लिक को भरोसा दिला देती है कि भारत चमत्कारों की भूमि है।

कुंभ इतिहास भी है, कुंभ दर्शनशास्त्र है, कुंभ राजनीति है। कुंभ का ताल्लुक अंतर्राष्ट्रीय राजनीति से भी है। कई विदेशी राजनयिक भी कुंभ में नहाने जा रहे हैं। कई देशों के राजनयिक यह देखकर परेशान हैं कि उनके मुल्क की पूरी पॉपुलेशन से ज्यादा लोग यहां नहाने क्यों आते हैं। नहाना कई देशों में बहुत गैर-जरूरी बात मानी जाती है। कई यूरोपीय देशों में तो कई-कई दिनों तक न नहाना उतना ही नार्मल है, जितना किसी भी भारतीय नेता का भ्रष्टाचार करना।

कुंभ मार्केटिंग का भी महोत्सव है। कई कंपनियां अपने ब्रांडों को जमाकर कुंभ का पुण्य हासिल करना चाहती हैं। कंपनियों और नेताओं में एक समानता है, जहां भी पब्लिक जुटती है, वहां ये अपना माल बेचना चाहते हैं।

पहले लोग कुंभ नहाने जाते थे, चुपके से नहा-धोकर वापस आकर अपने काम-धंधे में लग जाते थे। अब लोग कुंभ जाते हैं और उसकी फोटू सोशल मीडिया पर डाल देते हैं, और कुछ तो ऐसे हैं कि जो कुंभ में जाये बगैर ही कुंभ स्नान की फोटो डाल देते हैं

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