लोक कला और लोक कलाकारों के लिए प्रयागराज महाकुम्भ ने प्रदान की संजीवनी

Prayagraj Maha Kumbh provided a lifeline for folk art and folk artists

  • महाकुम्भ में संस्कृति विभाग ने विभिन्न सांस्कृतिक मंचों पर 11 हजार से अधिक कलाकारों को दिया प्रस्तुतियों का अवसर
  • केंद्र और राज्य सरकार के साथ विदेशी सांस्कृतिक टीमों को भी मिला अपनी कला का प्रदर्शन का अवसर
  • लोक कलाकारों ने महाकुम्भ को बताया लोक कला का सबसे बड़ा आयोजन, योगी सरकार का जताया आभार

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

प्रयागराज : प्रयागराज महाकुम्भ में आस्था और आध्यात्म के साथ देश की समृद्ध संस्कृति के विविध रंगों की त्रिवेणी प्रवाहित हुई। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इसमें कला के विभिन्न मंचों से हजारों लोक कलाकारों की उनकी प्रस्तुतियों का मंच प्रदान किया गया। लोक कलाकारों के लिए यह आयोजन लोक कला का महाकुम्भ बन गया।

महाकुम्भ में 11,500 कलाकारों को मिला प्रस्तुति का मंच
सांस्कृतिक एकता और सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा आयोजन बने प्रयागराज महाकुम्भ ने लोक कलाओं और उन्हें जीवित रखने वाले लोक कलाकारों को संजीवनी प्रदान की है। उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ राजेश अहिरवार का कहना है कि प्रयागराज महाकुम्भ भारत की समृद्ध भारतीय सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का दर्पण साबित हुआ है। इस महाकुम्भ में 11,500 से अधिक कलाकारों को विभिन्न मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों का मंच प्रदान किया गया है। इसमें सेलिब्रिटी कलाकार, शास्त्रीय संगीत, उपशास्त्रीय संगीत, गायन, वादन, नृत्य, वास, लोक गायन, नाट्य प्रस्तुति आदि शामिल हैं। इन सभी की लगभग 1650 प्रस्तुतियां महाकुम्भ में हुई। संस्कृति विभाग, उ.प्र. द्वारा कला कुम्भ, लघु मंचों पर लोक कलाकारों एवं अन्य राज्यों के कलाकारों द्वारा महाकुम्भ अवधि 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक की अवधि में कार्यक्रम की निर्धारित तिथियों में लगभग 6500 लोक कलाकारों ने संबंधित मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों प्रस्तुत की हैं।

महाकुम्भ क्षेत्र के अन्दर और बाहर शहर में प्रवाहित रही संस्कृति की धारा
लोक कलाकारों के लिए इस महाकुम्भ ने अपने विस्तार और प्रस्तुति के लिए सबसे बड़ा मंच दिया है। देश और प्रदेश की लोक कलाओं से परिचित कराने के साथ यह महा आयोजन महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों का मनोरंजन और विकेंद्रण का माध्यम भी बना है। महाकुम्भ क्षेत्र के अंदर जहां उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र और सीसीआरटी दिल्ली के अलावा कई सांस्कृतिक संस्थाओं ने इन्हे अवसर प्रदान किया तो वहीं महा कुम्भ क्षेत्र के बाहर शहर में 20 से अधिक स्थानों पर इन लोक कलाकारों को प्रस्तुतियां देने का मंच मिला। फ्लोरिडा से आई टीम ने भी महा कुम्भ क्षेत्र में अपनी प्रस्तुति दी।

लोककलाओं की प्रस्तुतियों के सभी रिकॉर्ड टूटे
प्रयागराज महाकुम्भ लोक कलाओं की प्रस्तुतियों के आधार पर देश का सबसे बड़ा आयोजन साबित हुआ है। संगीत नाटक अकेडमी अवॉर्डी लोक गायक और लेखक उदय चंद्र परदेशी का कहना है कि दिल्ली में आयोजित होने वाले अपना उत्सव में 6 हजार लोक कलाकार अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं लेकिन प्रयागराज महाकुम्भ ने इसे भी पीछे छोड़ दिया। प्रदेश के सभी लोक कलाकार बाहुल्य जिलों से लोक कलाकारों की झोली योगी सरकार ने भर दी। भारतीय लोककला महासंघ के अध्यक्ष अतुल यदुवंशी का कहना है कि योगी सरकार के इस प्रयागराज महाकुम्भ ने सभी लोक कलाओं से जुड़े कलाकारों को मंच दिया। लोक कलाकारों के लिए इससे बड़ा और उर्वर मंच कभी नहीं मिला।

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