
रक्षा-राजनीति नेटवर्क
नई दिल्ली : बीकानेर हाउस में राजेन्द्र यादव स्मृति समारोह के रूप में ‘हंस’ के तीसरे साहित्योत्सव की शुरुआत हुई।
साहित्योत्सव के आरंभ में वरिष्ठ साहित्यकार उषा प्रियंवदा ने आशीर्वचन स्वरूप सारगर्भित वक्तव्य दिया।
अपनी साहित्यिक जीवन यात्रा में राजेन्द्र यादव एवं मन्नू भंडारी की प्रेरणा और प्रोत्साहन याद करते हुए उन्होंने संक्षेप में सुचिंतित विचारों को रखा, उन्होंने कहा कि -“आज कल की लेखिका परिपाटी नहीं बल्कि अपनी भावना की कद्र करती हैं और अपने मन में सामाजिक संबधों को लेकर कोई अपराध बोध नहीं रखतीं। “
‘ हंस’ संपादक संजय सहाय ने स्वागत वक्तव्य दिया ।
राजेंद्र यादव और मन्नू भंडारी के रचनाकर्म पर मधुरेश की लिखी एवं वाणी प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक ‘तोता मैना की कहानी’ का लोकार्पण उषा प्रियंवदा, संजय सहाय और प्रियदर्शन ने किया। इसके बाद ’19 वीं सदी के बाद का हिंदी साहित्य – कितने ठहराव, कितने बदलाव’ पर वरिष्ठ लेखक, उपन्यासकार विभूति नारायण राय, आलोचक विनोद तिवारी एवं संजीव कुमार ने विचारोत्तेजक चर्चा की।
इस सत्र का संचालन वैभव सिंह ने किया।
दूसरे सत्र में प्रख्यात कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी, वरिष्ठ लेखक , समीक्षक सुधीश पचौरी, गोपाल प्रधान, गरिमा श्रीवास्तव ने ‘समकालीन हिंदी साहित्य – प्रभावित करतीं विचार धाराएँ और दर्शन’ पर गंभीर चर्चा की । संचालन पल्लव ने किया।
तीसरे सत्र में ‘बाजारवाद की अंधी गली और हिंदी साहित्य’ पर सुपरिचित लेखिका मृदुला गर्ग , नई वाली हिंदी के चर्चित लेखक सत्य व्यास, प्रसिद्ध युवा कथाकार-उपन्यासकार चंदन पांडेय और रवि सिंह ने महत्त्वपूर्ण चर्चा की।
इस सत्र का संचालन फहीम अहमद ने किया ।
परिचर्चा व विमर्श सत्र के बाद शाम में प्रियदर्शन लिखित नाट्य कृति ‘मन्नू की बेटियाँ’ का एनएसडी के पूर्व निदेशक ख्यात रंग निर्देशक देवेन्द्र राज अंकुर के निर्देशन में मंचन हुआ।
मंच संचालन आदित्य शुक्ल एवं आभार प्रकाश ‘हंस’ की प्रबंध निदेशक रचना यादव ने किया।
साहित्य, पत्रकारिता, रंगमंच , सिनेमा, कला और अन्य विविध क्षेत्रों के लेखकों, बुद्धिजीवियों, हंस प्रेमी साहित्यरसिक पाठकों सहित युवाओं की मजबूत उपस्थिति रही।
हंस साहित्योत्सव के दूसरे दिन 16 नवंबर को भी अनेक विचारोतेजक एवं मनोरंजक सत्र होंगे।