रेलवे महिला यात्रियों की सुरक्षा एवं संरक्षा बढ़ाने हेतु जीआरपी के साथ मिलकर कार्य कर रहा है

Railways working in collaboration with GRP to enhance safety and security of women passengers

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

नई दिल्ली : ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य के विषय हैं और इसलिए, राज्य सरकारें अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों ​​यानी राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी)/जिला पुलिस के माध्यम से अपराध की रोकथाम तथा उसका पता लगाने, पंजीकरण एवं जांच और रेलवे के अंतर्गत विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) रेलवे संपत्ति, यात्री क्षेत्र और यात्रियों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने एवं उनसे जुड़े मामलों में जीआरपी/जिला पुलिस के प्रयासों में सहायता करता है।

रेलगाड़ियों में और स्टेशनों पर महिला यात्रियों की सुरक्षा एवं संरक्षा के लिए जीआरपी के सहयोग से रेलवे द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं:-

  • संवेदनशील और चिन्हित मार्गों/खंडों पर ट्रेनों की सुरक्षा रेलवे सुरक्षा बल के अलावा विभिन्न राज्यों की राजकीय रेलवे पुलिस द्वारा प्रतिदिन की जाती है।
  • ‘मेरी सहेली’ पहल के तहत, लंबी दूरी की ट्रेनों में अकेले यात्रा करने वाली महिला यात्रियों की पूरी यात्रा यानी यात्रा की शुरुआत वाले स्टेशन से लेकर गंतव्य स्टेशन तक की सुरक्षा पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
  • यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से कई कोचों और रेलवे स्टेशनों पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी रखी जाती है।
  • तत्काल सहायता के लिए, यात्री सीधे रेल मदद पोर्टल पर या हेल्पलाइन नंबर 139 [आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) नंबर 112 के साथ एकीकृत] के माध्यम से शिकायत कर सकते हैं।
  • रेलवे यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने और उनकी सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने हेतु ट्विटर एवं फेसबुक आदि जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से यात्रियों के साथ नियमित संपर्क में है।
  • यात्रियों को चोरी, झपटमारी, नशीले पदार्थों आदि के विरुद्ध सावधानी बरतने के बारे में शिक्षित करने के लिए सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली के माध्यम से लगातार घोषणाएं की जाती हैं।
  • जोनल रेलवे को ट्रेन एस्कॉर्ट पार्टियों में यथासंभव पुरुष एवं महिला आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों की उचित संयुक्त संख्या की तैनाती के निर्देश दिए गए हैं।
  • महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बे में पुरुष यात्रियों के प्रवेश के विरुद्ध अभियान चलाया जाता है और उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाती है।
  • रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था की नियमित निगरानी व समीक्षा के लिए सभी राज्यों/केन्द्र- शासित प्रदेशों में संबंधित पुलिस महानिदेशक/राज्यों/केन्द्र- शासित प्रदेशों के पुलिस आयुक्त की अध्यक्षता में रेलवे की राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति (एसएलएससीआर) का गठन किया गया है।

रेलवे में 12वीं सुरक्षा और सुरक्षा रिपोर्ट दिसंबर 2016 में आई थी और वर्ष 2018 से पहले, महिला कर्मियों का प्रतिशत कुल स्वीकृत संख्या का लगभग 3 प्रतिशत था। सेवानिवृत्ति, पदोन्नति, मृत्यु, इस्तीफे आदि के कारण रिक्तियां उत्पन्न होना एक सतत प्रक्रिया है और इन्हें मौजूदा नियमों के अनुसार खुली भर्तियों और विभागीय पदोन्नति के माध्यम से भरा जाता है। भर्ती के बाद, आरपीएफ में महिलाओं का प्रतिशत वर्तमान संख्या के 3 प्रतिशत से बढ़कर 9.38 प्रतिशत हो गया है।

आरआरबी ने महिलाओं के लिए 15 प्रतिशत सीटों के साथ उप-निरीक्षकों के 452 पदों और कांस्टेबलों के 4208 पदों को भरने के लिए क्रमशः आरपीएफ सीईएन नंबर 01/2024 और आरपीएफ सीईएन नंबर 02/2024 की अधिसूचना जारी की है। इससे आरपीएफ/आरपीएसएफ में महिलाओं का प्रतिशत और बढ़ेगा।

निर्भया फंड के तहत अब तक 566 रेलवे स्टेशनों पर 223.67 करोड़ रुपये की खर्च से सीसीटीवी कैमरे उपलब्ध कराए गए हैं।

यह जानकारी केन्द्रीय रेल, सूचना और प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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