उत्तर प्रदेश के नगर निकायों की राजस्व वसूली में 44.5% की वृद्धि

44.5% increase in revenue collection of municipal bodies of Uttar Pradesh

  • वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल ₹5,568 करोड़ की राजस्व वसूली
  • राजस्व वृद्धि से नगर निकायों की आत्मनिर्भरता बढ़ी
  • मथुरा और झांसी जैसे छोटे शहरों ने दर्ज की सर्वाधिक वृद्धि
  • चार वर्षों में राजस्व में 123% की बढ़ोतरी हुई

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के नगर निकायों ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 44.5% की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज करते हुए कुल ₹5,568 करोड़ की राजस्व वसूली की है। नगर विकास विभाग के अंतर्गत आने वाली 17 प्रमुख नगर निगमों ने कुल ₹4,586 करोड़ का राजस्व एकत्र किया, जो लक्ष्य ₹4,140 करोड़ से 11% अधिक है।

छोटे शहरों की बड़ी उपलब्धि
छोटे नगरों की राजस्व वृद्धि बड़े शहरों से अधिक रही। मथुरा ने 106% और झांसी ने 85% की शानदार बढ़त दर्ज की।

मथुरा – 106% वृद्धि
झांसी – 85% वृद्धि
गाजियाबाद – 72% वृद्धि

टैक्स और नॉन-टैक्स राजस्व में उल्लेखनीय उछाल

▪️टैक्स राजस्व – ₹2,235.48 करोड़ से बढ़कर ₹2,870.4 करोड़ (28% वृद्धि)

▪️नॉन-टैक्स राजस्व – ₹904.73 करोड़ से बढ़कर ₹1,715.27 करोड़ (90% वृद्धि)

▪️गाजियाबाद में नॉन-टैक्स राजस्व में 336% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि मुरादाबाद में 29% की गिरावट आई।

राजस्व संग्रह के आधार पर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शहर

लखनऊ – ₹1,355.32 करोड़
कानपुर – ₹720.62 करोड़
गाजियाबाद – ₹609.89 करोड़

नॉन-टैक्स राजस्व वृद्धि के आधार पर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शहर
गाजियाबाद – 336% वृद्धि
मथुरा और झांसी – उच्चतम विकास दर

4 वर्षों में 123% की अभूतपूर्व वृद्धि
राज्य के सभी 762 शहरी स्थानीय निकायों, जिसमें नगर निगम, नगर पालिका परिषद, और नगर पंचायतें शामिल हैं, के आंकड़े पिछले चार वर्षों में राजस्व संग्रह में लगातार ऊपर की ओर रुझान दिखाते हैं।

▪️2021-22 – ₹2,494.42 करोड़
▪️2022-23 – ₹2,915.01 करोड़
▪️2023-24 – ₹3,853.23 करोड़
▪️2024-25 – ₹5,568 करोड़

राजस्व वृद्धि से शहरी विकास को मिलेगा बल

▪️स्वच्छता रैंकिंग और वायु गुणवत्ता में सुधार
▪️बेहतर शहरी बुनियादी ढांचा, कचरा प्रबंधन और जल आपूर्ति
▪️सार्वजनिक परिवहन में सुधार
▪️वित्तीय स्वतंत्रता से ULBs को अधिक केंद्रीय सहायता मिलेगी, जिससे राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) और 15वें वित्त आयोग जैसी योजनाओं का लाभ मिलेगा।

हर ₹1 की कमाई पर कई गुना केंद्रीय सहायता संभव
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने कहा,
“वित्तीय स्वतंत्रता शहरी प्रशासन सुधार की आधारशिला है। जितना अधिक राजस्व स्थानीय निकाय कमाएंगे, उतना अधिक केंद्रीय अनुदान उन्हें मिलेगा। इससे शहरी बुनियादी ढांचे और नागरिक सेवाओं में सुधार होगा।” राजस्व वृद्धि से नगर निकाय आत्मनिर्भर हो रहे हैं, जिससे भविष्य में और बेहतर शहरी सुविधाएं विकसित होंगी।

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