
संजय सक्सेना
कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी एक बार फिर विदेशी धरती से भारत की संवैधानिक संस्थाओं और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर विवादों में आ गए हैं। अमेरिका यात्रा के दौरान बोस्टन यूनिवर्सिटी में दिए गए उनके बयान ने सियासी हलकों में एक बार फिर उबाल ला दिया है। राहुल गांधी ने भारतीय चुनाव आयोग पर समझौता करने का आरोप लगाया और कहा कि महाराष्ट्र में हुए चुनावों में धांधली हुई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और उनके सहयोगियों को जिताने के लिए चुनाव आयोग ने पक्षपात किया।
राहुल गांधी के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद संबित पात्रा ने दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाए। पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी देश के लोकतंत्र को बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते और अब वे अमेरिका जाकर भारत को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी यह क्यों भूल जाते हैं कि उसी समय झारखंड में भी चुनाव हुए थे, और वहां कांग्रेस व सहयोगियों की सरकार बनी थी। क्या वहां भी चुनाव आयोग से कोई समझौता हुआ था?
संबित पात्रा ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर नेशनल हेराल्ड केस का हवाला देते हुए कहा कि दोनों 50 हजार के मुचलके पर जमानत पर बाहर हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जो लोग खुद भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी हैं, वे विदेशी धरती पर जाकर भारत को अपमानित कर रहे हैं। पात्रा ने दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट के अनुसार 988 करोड़ रुपये का फर्जी डोनेशन राहुल और सोनिया गांधी की जेब में गया है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर ‘चोर मचाए शोर’ की नीति अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस पूरे देश में अशांति फैलाने की कोशिश कर रही है।
पात्रा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ये नेता दावा करते हैं कि कोई संपत्ति बेची या ट्रांसफर नहीं की गई, इसलिए गड़बड़ी कैसे हुई? लेकिन ईडी की चार्जशीट में साफ कहा गया है कि एजेएल (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) की संपत्तियों का उपयोग समाचार पत्र कार्यालयों के रूप में नहीं बल्कि ‘अपराध की आय’ के रूप में किया गया। दिल्ली के बहादुर शाह ज़फर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस, लखनऊ और भोपाल की प्राइम लोकेशन वाली संपत्तियों का हवाला देते हुए पात्रा ने कहा कि ये संपत्तियां पत्रकारिता के लिए नहीं बल्कि लाभ कमाने के लिए इस्तेमाल की गईं।
राहुल गांधी के विदेश में भारत के खिलाफ दिए गए बयानों की सूची लंबी होती जा रही है। मार्च 2023 में ब्रिटेन दौरे पर उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में “लर्निंग टू लिसन इन द 21स्ट सेंचुरी” विषय पर व्याख्यान देते हुए भारत में लोकतंत्र के खतरे की बात कही थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत की सभी स्वतंत्र संस्थाओं पर कब्जा कर लिया गया है और विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है। उनके इस बयान पर दिल्ली में एक वकील ने उनके खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी।
सितंबर 2024 में अमेरिका के टेक्सास और वॉशिंगटन डीसी दौरे के दौरान राहुल गांधी ने सिख समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत में सिखों को पगड़ी और कड़ा पहनने में घबराहट होती है। इस बयान को भाजपा ने झूठा और भयावह करार दिया था। उस दौरे पर राहुल गांधी ने चीन की नीतियों की प्रशंसा भी की थी, जिसे भाजपा ने भारत विरोधी करार दिया। उन्होंने अमेरिका में भारत विरोधी छवि वाले नेताओं जैसे इल्हान उमर से भी मुलाकात की, जिस पर विवाद हुआ।
जून 2023 में वॉशिंगटन डीसी में राहुल गांधी ने मुस्लिम लीग को ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टी बताया था। भाजपा ने इस पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी थी और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने इसे देश के बंटवारे का बीज बोने वाला बयान बताया। इससे पहले भी, 2018 में सिंगापुर और बहरीन दौरे पर उन्होंने भारत के खानपान की स्वतंत्रता को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भारत में यह तय नहीं किया जा सकता कि लोग क्या खाएं। उस समय देश में बीफ को लेकर चल रहे विवाद के बीच यह बयान और भी ज्यादा चर्चा में आया।
मई 2022 में लंदन दौरे के दौरान राहुल गांधी ने भारतीय विदेश सेवा को “अहंकारी” बताया था। इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तीखा पलटवार करते हुए कहा था कि यह अहंकार नहीं, बल्कि आत्मविश्वास है। उन्होंने राहुल के बयान को भारतीय राजनयिक प्रतिष्ठा को कमजोर करने वाला करार दिया था।
इन सभी घटनाओं को मिलाकर देखा जाए तो राहुल गांधी पर यह आरोप लगातार लगता रहा है कि वे विदेश जाकर भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं और संवैधानिक व्यवस्थाओं को कटघरे में खड़ा करते हैं। भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि राहुल गांधी देश में नहीं बल्कि विदेश में बैठकर सियासत करने की कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी यह भी कहती है कि भारत के लोकतंत्र की मजबूती का परिचय दुनिया को बार-बार देना पड़ रहा है क्योंकि राहुल गांधी जैसे नेता विदेशी मंचों पर भारत को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं।
भाजपा की यह भी मांग रही है कि देश की संवैधानिक संस्थाओं पर अविश्वास फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भारत की प्रतिष्ठा को वैश्विक मंच पर नुकसान न हो। वहीं कांग्रेस का तर्क है कि वह लोकतंत्र की रक्षा के लिए सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रही है, चाहे मंच देश का हो या विदेश का। यह सियासी खींचतान फिलहाल थमने वाली नहीं लगती, खासकर तब जब देश एक और चुनावी दौर की तरफ बढ़ रहा है।